बिलासपुर संभाग

छह साल बाद मिला इंसाफ: हाईकोर्ट ने नाबालिग से रेप के आरोपी को किया बाइज्जत बरी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आरोपी को बाइज्जत बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की उम्र को लेकर अभियोजन पक्ष ठोस प्रमाण नहीं दे सका और दोनों के बीच सहमति से संबंध थे। करीब 6 वर्षों से जेल में बंद आरोपी को तत्काल रिहा करने के आदेश दिए गए हैं।

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बिलासपुर (शिखर दर्शन) //
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने करीब छह साल से जेल में सजा काट रहे आरोपी तरुण सेन को बाइज्जत बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह सिद्ध नहीं कर पाया कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम थी। इसके साथ ही, पीड़िता ने भी कोर्ट में स्वीकार किया कि वह आरोपी के साथ अपनी मर्जी से गई थी और उनके बीच प्रेम संबंध थे। इस आधार पर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया और जेल से तत्काल रिहा करने के आदेश दिए।

मामले के अनुसार, आरोपी तरुण सेन पर आरोप था कि 8 जुलाई 2018 को वह एक लड़की को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया और कई दिन तक उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। लड़की के पिता की शिकायत पर 12 जुलाई को मामला दर्ज किया गया और 18 जुलाई को पुलिस ने लड़की को दुर्ग से बरामद किया। इस आधार पर रायपुर की विशेष अदालत ने 27 सितंबर 2019 को तरुण सेन को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(एन) और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 10-10 साल की सजा सुनाई थी।

हाईकोर्ट में अपील के दौरान यह सामने आया कि स्कूल के दाखिला रजिस्टर में पीड़िता की जन्मतिथि 10 अप्रैल 2001 दर्ज है, लेकिन पीड़िता ने अपनी गवाही में खुद को 10 अप्रैल 2000 को जन्मी बताया। अभियोजन पक्ष पीड़िता की सही उम्र साबित करने के लिए कोई ठोस दस्तावेज जैसे जन्म प्रमाणपत्र या ऑसिफिकेशन टेस्ट पेश नहीं कर सका। साथ ही, मेडिकल रिपोर्ट में भी जबरदस्ती या चोट के कोई निशान नहीं पाए गए।

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पीड़िता की उम्र को सिद्ध करने के लिए स्कूल के दस्तावेज अकेले पर्याप्त नहीं होते, जब तक कि उसे तैयार करने वाले की गवाही न हो। जस्टिस अरविंद वर्मा ने अपने फैसले में कहा कि जब पीड़िता की उम्र नाबालिग साबित नहीं होती और उसने सहमति से संबंध बनाए हों, तो दुष्कर्म या पॉक्सो की धाराएं नहीं लगतीं। उन्होंने कहा कि यह मामला प्रेम प्रसंग और सहमति से भागने का है, न कि दुष्कर्म का।

अदालत ने आरोपी तरुण सेन की सजा को रद्द करते हुए उसे सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया और जेल से तुरंत रिहा करने के निर्देश जारी किए।

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