राजनीति

कांग्रेस राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद एमपी के दो दिग्गज नेताओं को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी, बढ़ेगा प्रदेश का दबदबा

विशेष संवाददाता की रिपोर्ट:

भोपाल (शिखर दर्शन) // गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस पार्टी का दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन जोरशोर से जारी है। इस अधिवेशन के जरिए न सिर्फ संगठनात्मक नीतियों को मजबूती दी जा रही है, बल्कि पार्टी भविष्य की रणनीति को भी नया आयाम देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। अधिवेशन के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आ सकती है। प्रदेश के दो वरिष्ठ नेताओं को कांग्रेस आलाकमान राष्ट्रीय स्तर पर अहम जिम्मेदारी सौंप सकता है, जिससे मध्यप्रदेश का पार्टी संगठन राष्ट्रीय मंच पर और मजबूत होगा।

सूत्रों के मुताबिक, जिन दो नेताओं को जिम्मेदारी मिलने की संभावना जताई जा रही है, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के नाम शामिल हैं। विशेष रूप से अरुण यादव को ओबीसी वर्ग से आने और उनके सामाजिक प्रभाव को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व महत्वपूर्ण भूमिका सौंप सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह न केवल अरुण यादव के लिए, बल्कि ओबीसी वर्ग के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए भी एक बड़ा संदेश होगा।

गौरतलब है कि अधिवेशन के पहले दिन कांग्रेस ने सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित सात सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया, जिसमें उनके आदर्शों और दिखाए मार्ग पर चलने की प्रतिबद्धता जताई गई। इस प्रस्ताव के जरिए पार्टी ने एक ओर जहां राष्ट्रीय एकता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर जोर दिया, वहीं दूसरी ओर बीजेपी पर भी तीखा हमला किया।

मध्यप्रदेश कांग्रेस पहले से ही राष्ट्रीय नेतृत्व में सक्रिय भूमिका निभा रही है।

  • पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पार्टी के चुनावी रणनीति और ईवीएम से जुड़े मामलों की निगरानी कर रहे हैं।
  • पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन को तेलंगाना का प्रभार सौंपा गया है।
  • कमलेश्वर पटेल और विधायक ओमकार सिंह मरकाम कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं।
  • विधायक विक्रांत भूरिया आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
  • वहीं कुणाल चौधरी, भूपेंद्र मरावी, मनोज चौहान, सत्यनारायण पटेल और नीलांशु चतुर्वेदी जैसे नेता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

इन नियुक्तियों के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस नेतृत्व मध्यप्रदेश से आने वाले नेताओं पर भरोसा जता रहा है और उन्हें संगठन के महत्वपूर्ण निर्णयों में सहभागी बना रहा है। यदि कमलनाथ और अरुण यादव को नई जिम्मेदारी मिलती है, तो यह प्रदेश कांग्रेस के लिए एक नई ऊर्जा और दिशा तय करने वाला क्षण साबित हो सकता है।

इस अधिवेशन के दूसरे दिन से संभावनाओं की दिशा और स्पष्ट होगी, जिस पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हुई हैं।

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