भारत में मातृत्व स्वास्थ्य पर बड़ा खुलासा: हर दिन 52 गर्भवती महिलाओं की मौत, पाकिस्तान की स्थिति हमसे बहुत अच्छी, यूएन की रिपोर्ट में खुलासा

🩺 हर दिन 52 गर्भवती महिलाओं की मौत: 🇺🇳 यूएन रिपोर्ट में भारत की चिंताजनक तस्वीर, 🇵🇰 पाकिस्तान की हालत भी बेहतर
📰 नई दिल्ली (शिखर दर्शन) //
संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट ने भारत में मातृत्व स्वास्थ्य की भयावह स्थिति को उजागर किया है। वर्ष 2023 में देश में करीब 19,000 🤰 महिलाओं की मौत दर्ज की गई — यानी हर दिन औसतन 52 महिलाएं ⚰️ जान गंवा रही हैं। ये मौतें गर्भावस्था या प्रसव के दौरान उत्पन्न जटिलताओं के चलते हुई हैं। यह आंकड़ा दुनियाभर की कुल मातृत्व मौतों का 7.2% 🌍 है। भारत, इस लिहाज से, नाइजीरिया 🇳🇬 के बाद दूसरा सबसे प्रभावित देश है।
🌐 दुनिया में हर दो मिनट में एक महिला की मौत
यूएन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर 2,60,000 महिलाओं ⚱️ की मौत हुई — जो यह दर्शाता है कि हर ⏱️ दो मिनट में एक गर्भवती महिला की जान चली जाती है। यह आंकड़ा मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
🇵🇰 पाकिस्तान की स्थिति भारत से बेहतर, 🇳🇬 नाइजीरिया सबसे बुरी हालत में
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में वर्ष 2023 में 11,000 गर्भवती महिलाओं की मौत हुई — यानी औसतन 30 मौतें प्रति दिन। जबकि नाइजीरिया में 75,000 मौतें दर्ज की गईं, जो विश्व की कुल मातृत्व मौतों का 28.7% है।
📍 राज्यवार स्थिति: यूपी-बिहार-मध्यप्रदेश में हालात बेहद गंभीर
🧾 स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार:
- ❌ उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
- 🚑 प्रशिक्षित स्टाफ की कमी, प्रसव केंद्रों की दूरी, और जागरूकता की कमी के कारण हालात बदतर हैं।
- ✅ केरल, तमिलनाडु, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में स्थिति बेहतर है।
🧠 विशेषज्ञों की राय: समस्याएं गहरी, समाधान जरूरी
👩⚕️ डॉ. श्रेया आनंद के अनुसार:
- सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं —
🔴 समय पर चिकित्सा न मिलना
🔴 कुपोषण
🔴 प्रसव पूर्व जांच की कमी - 🧑🔬 उन्होंने कहा, “जननी सुरक्षा योजना”, “मातृ वंदना योजना”, और आशा वर्करों की पहल महत्वपूर्ण हैं, पर ज़मीनी क्रियान्वयन अब भी कमजोर है।

🏛️ सरकार की प्रतिक्रिया: सुधार हुआ, पर अब प्रगति धीमी
📊 भारत सरकार का दावा है कि
- वर्ष 2000 से 2023 के बीच मातृत्व मृत्यु दर में 78%📉 गिरावट आई है।
- 🏥 स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ी हैं, लेकिन 2016 के बाद सुधार की गति थमी है।
- 🎯 नीतियों को स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार लागू करना अब समय की मांग है।
🌍 WHO की चेतावनी: सुधार नहीं हुआ तो और बढ़ेगा संकट
🗣️ WHO प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा:
“यदि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में ठोस सुधार नहीं किया गया, तो यह संकट और गहराएगा। 👩⚕️🤱💔”
🔚 निष्कर्ष: मातृत्व मृत्यु दर कम करने की दौड़ में भारत को तेज़ दौड़ना होगा

📢 अब वक्त आ गया है कि हम स्वास्थ्य सेवाओं, ग्रामीण पहुंच, और महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता दें।
जब तक बदलाव जमीनी स्तर तक नहीं पहुंचता, हर दिन 52 माताओं की मौत जैसी त्रासदी को रोकना मुश्किल बना रहेगा। 🕯️🙏