सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को लेकर केंद्र की कैविएट, कहा – हमारा पक्ष सुने बिना न सुनाएं आदेश

नई दिल्ली (शिखर दर्शन) //
वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर बढ़ते विवाद के बीच केंद्र सरकार भी सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंच गई है। मंगलवार को केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय में कैविएट दाखिल करते हुए यह आग्रह किया कि वक्फ कानून से जुड़ी याचिकाओं पर किसी भी प्रकार का आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष अवश्य सुना जाए। सरकार की इस पहल का उद्देश्य एकतरफा आदेश की संभावना से बचना है।
उल्लेखनीय है कि वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ अब तक कुल 15 याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। याचिकाकर्ताओं ने इस अधिनियम को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 25 और 26 (धार्मिक स्वतंत्रता एवं संस्थागत प्रबंधन), और अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) का उल्लंघन बताते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया है। इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया है कि यह संशोधन अनुच्छेद 300A, जो संपत्ति के अधिकार की सुरक्षा करता है, के भी विरुद्ध है।
शीघ्र सुनवाई की उठी मांग
7 अप्रैल को याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और निज़ाम पाशा ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई की मांग की थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने आश्वस्त करते हुए कहा कि मामले को जल्द सूचीबद्ध किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अर्जेंट हियरिंग के लिए तय प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है।
सुनवाई की संभावित तारीख 15 अप्रैल
सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर वक्फ संशोधन अधिनियम से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई की संभावित तिथि 15 अप्रैल दर्शाई गई है। माना जा रहा है कि इस तारीख को अदालत इस संवेदनशील और बहुचर्चित मुद्दे पर सुनवाई आरंभ कर सकती है।
वक्फ कानून में किए गए हालिया संशोधनों को लेकर देशभर में बहस तेज हो गई है। यह मामला न केवल संवैधानिक व्याख्या का विषय बन चुका है, बल्कि इससे सामाजिक और धार्मिक समुदायों में भी गहरी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के रुख पर टिकी हैं, जो इस बहुप्रतीक्षित मामले में दिशा तय करेगा।