मासूम से दुष्कर्म और हत्या मामला: हाईकोर्ट में जनहित याचिका, आरोपी को फांसी और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग

रायपुर (शिखर दर्शन) // दुर्ग जिले में एक मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और निर्मम हत्या की घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले को लेकर वैदेही सोशल वेलफेयर फाउंडेशन ने फाउंडेशन की संचालिका पायल नगरानी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए और पीड़ित परिवार को तत्काल वित्तीय सहायता दी जाए।
जांच पर उठे सवाल, आरोपी को राजनीतिक संरक्षण का आरोप
दायर याचिका में पुलिस जांच की निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। पायल नगरानी का कहना है कि आरोपी को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं और कई महत्वपूर्ण सबूतों को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। उनका आरोप है कि आरोपी को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते मामले की दिशा मोड़ने की कोशिश हो रही है। याचिका में मांग की गई है कि पुलिस जांच पर न्यायिक निगरानी रखी जाए और आरोपी को फांसी की सजा दी जाए।
मासूम बच्ची की दर्दनाक मौत ने पूरे इलाके को किया आंदोलित
मृतक बच्ची की उम्र महज 6 वर्ष थी। वह एक साधारण मजदूर परिवार से थी। बच्ची के लापता होने के कुछ घंटों बाद उसका शव बरामद हुआ, जिससे क्षेत्र में शोक और आक्रोश का माहौल बन गया। लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर और नारेबाजी कर दोषियों को कठोरतम सजा देने की मांग की। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग के साथ जिला प्रशासन पर दबाव बनाया।
दुर्ग अधिवक्ता संघ का ऐतिहासिक निर्णय: आरोपी का केस कोई नहीं लड़ेगा
इस मामले में दुर्ग जिला अधिवक्ता संघ ने एक बड़ा और नैतिक फैसला लेते हुए तय किया है कि जिले का कोई भी अधिवक्ता आरोपी की पैरवी नहीं करेगा। संघ की आपात बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया। संघ के कोषाध्यक्ष अनिल जायसवाल ने इसे जिले के न्यायिक इतिहास में एक साहसिक निर्णय बताते हुए कहा कि यह दिन समाज के लिए काला दिन था।
संघ के सचिव रविशंकर सिंह ने भी इस फैसले का समर्थन किया और कहा कि अधिवक्ता समाज इस अन्याय के विरुद्ध एकजुट है।
प्रशासन और महिला आयोग की प्रतिक्रिया
घटना के बाद जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवार को सहायता देने का आश्वासन दिया है। वहीं, छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने भी इस मामले में संज्ञान लेते हुए विस्तृत रिपोर्ट तलब की है और जल्द कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई औपचारिक मुआवजा राशि घोषित नहीं की गई है, लेकिन जनदबाव के बीच जल्द निर्णय की संभावना जताई जा रही है।
पृष्ठभूमि में बढ़ते अपराधों को लेकर चिंता
यह घटना उस समय हुई है जब राज्य में महिला और बाल अपराधों को लेकर चिंताजनक आंकड़े सामने आ रहे हैं। सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं और दोषियों को त्वरित और कठोर सजा सुनिश्चित की जाए।