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कांग्रेस का 84वां अधिवेशन: अहमदाबाद में CWC बैठक शुरू, सोनिया, खड़गे और राहुल पहुंचे — क्या गांधी-पटेल की धरती से होगा कांग्रेस का नया आगाज़ ?

अहमदाबाद (शिखर दर्शन) //
कांग्रेस पार्टी ने अपने 84वें राष्ट्रीय अधिवेशन की शुरुआत रविवार को गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से की, जहां सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक आयोजित की गई। इस ऐतिहासिक मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की और अधिवेशन का शुभारंभ किया।

अधिवेशन में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। गुजरात में यह अधिवेशन 64 वर्षों के बाद हो रहा है—1961 में आखिरी बार यह कार्यक्रम भावनगर में आयोजित हुआ था। कांग्रेस ने इस दो दिवसीय अधिवेशन को “न्याय पथ” नाम दिया है, जो पार्टी की वैचारिक और सामाजिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

खड़गे का भाषण: संगठन को एकजुट करने और मूल्यों की रक्षा का आह्वान

बैठक को संबोधित करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने महात्मा गांधी, सरदार पटेल और पंडित नेहरू की विरासत को याद करते हुए कहा कि कांग्रेस की वैचारिक शक्ति आज भी भारत की एकता और सामाजिक न्याय की बुनियाद है। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने सत्य और अहिंसा का जो शस्त्र हमें दिया, वह किसी भी अन्याय के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियार है।

उन्होंने बीजेपी और संघ परिवार पर आरोप लगाया कि वे कांग्रेस के राष्ट्रीय नायकों की विरासत को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर रहे हैं और वैचारिक रूप से विरोधी संस्थाओं पर कब्जा कर रहे हैं। खड़गे ने कहा, “गांधी जी की लाठी और चश्मा चुराए जा सकते हैं, लेकिन उनके आदर्शों पर सिर्फ कांग्रेस ही चल सकती है।”

खड़गे ने सरदार पटेल और नेहरू के बीच की आत्मीयता और सहयोग को ऐतिहासिक तथ्यों के साथ उजागर किया और कहा कि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू थे। उन्होंने बताया कि कैसे सरदार पटेल ने गुजरात में नेहरू का स्वागत करते हुए कहा था कि कांग्रेस की जीत पर वे उनका हृदय से अभिनंदन करेंगे।

कांग्रेस की वैचारिक विरासत ही असली पूंजी

खड़गे ने कहा कि कांग्रेस के 140 वर्षों के संघर्ष और सेवा की जो वैचारिक पूंजी है, वही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने संगठन को और मज़बूत करने की बात करते हुए सरदार पटेल के एक कथन का उद्धरण दिया—“संगठन के बिना संख्या बल बेकार है।”

‘न्याय पथ’ से सत्ता की ओर वापसी की तैयारी

अधिवेशन के दूसरे दिन 9 अप्रैल को साबरमती नदी के तट पर कांग्रेस का मुख्य राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित होगा, जिसमें देशभर से आए 1700 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे। इसमें पार्टी की भविष्य की रणनीतियों, जनहित के मुद्दों और चुनावी तैयारियों पर मंथन किया जाएगा।

ऐतिहासिक अवसर: गांधी के अध्यक्ष बनने के 100 साल और पटेल की 150वीं जयंती

यह अधिवेशन ऐसे समय में हो रहा है जब गांधीजी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के 100 साल और सरदार पटेल की 150वीं जयंती है। इस मौके पर पार्टी गुजरात से प्रेरणा लेकर एक नई ऊर्जा के साथ जनता के बीच जाने की तैयारी कर रही है।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने अंत में सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से संगठित होकर कांग्रेस की विचारधारा और संविधान की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। अधिवेशन के इस पहले दिन कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी अब वैचारिक संघर्ष और संगठनात्मक पुनर्गठन के जरिए नए सिरे से जन समर्थन हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

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