नया वक्फ संशोधन कानून लागू: राष्ट्रपति मुर्मू की मंजूरी के बाद देशभर में विरोध, सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला

नई दिल्ली (शिखर दर्शन) // वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन से जुड़ा वक्फ संशोधन विधेयक-2025 अब कानून बन चुका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल 2025 को इस विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह विधिवत रूप से प्रभावी हो गया। संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—से यह विधेयक क्रमशः 2 और 3 अप्रैल को लंबी चर्चा के बाद पारित हुआ था।
सरकार अब इस कानून को लागू करने की तिथि को लेकर अलग से अधिसूचना जारी करेगी। लोकसभा में इस विधेयक के पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े, जबकि राज्यसभा में यह 128 बनाम 95 मतों से पारित हुआ। राज्यसभा में विपक्ष द्वारा लाए गए सभी संशोधन प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज कर दिए गए।

सुप्रीम कोर्ट में दायर हुईं चार याचिकाएं, संवैधानिक प्रावधानों पर उठाए सवाल
नए कानून की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अब तक चार याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और AAP विधायक अमानतुल्लाह खान ने अलग-अलग याचिकाओं में इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी है।
शनिवार को दो और याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें एक अमानतुल्लाह खान की और दूसरी एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन इन द मैटर्स ऑफ सिविल राइट्स नामक संस्था द्वारा दायर की गई। याचिकाओं में मांग की गई है कि इस कानून के प्रभावी होने पर तत्काल रोक लगाई जाए।
जावेद की याचिका में कहा गया है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और संस्थागत स्वायत्तता को कमजोर करता है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर असंवैधानिक रूप से हस्तक्षेप करता है। ओवैसी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि नया कानून वक्फों को प्राप्त सुरक्षा को समाप्त कर देता है, जबकि हिंदू, जैन और सिख संस्थाओं को यह सुरक्षा अब भी प्राप्त है।
देशव्यापी विरोध की चेतावनी, AIMPLB उतरेगा सड़कों पर
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून के विरोध में देशव्यापी आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है। 5 अप्रैल को AIMPLB ने कहा कि वह दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, पटना, लखनऊ, रांची, मलप्पुरम और मलेरकोटला जैसे प्रमुख शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेगा।
बोर्ड ने राष्ट्रपति से मुलाकात का समय भी मांगा था, ताकि मुस्लिम समुदाय की आशंकाएं और आपत्तियाँ उनके समक्ष रखी जा सकें।
विपक्ष का आरोप: बहुमत के बल पर थोपा गया कानून
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस विधेयक को बहुमत के बल पर जबरन पारित कराया है, जबकि इसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों और संस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
निष्कर्ष: कानून लागू लेकिन विवाद जारी
हालांकि नया वक्फ संशोधन कानून अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अस्तित्व में आ चुका है, लेकिन इसके कई प्रावधानों को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाओं और प्रस्तावित विरोध प्रदर्शनों के बीच यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में यह कानून किस रूप में प्रभावी होता है और अदालत इसमें क्या रुख अपनाती है।