जल संरक्षण के नाम पर कार वॉश सेंटरों पर रोक, तीन महीने की बंदी से रोज़गार पर खतरा

बिलासपुर (शिखर दर्शन) //
नगर निगम ने पीने के पानी की बर्बादी रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। निगम क्षेत्र में संचालित कार वॉश सेंटरों पर अगले तीन महीनों तक कंप्रेशर मशीनों से गाड़ियों की धुलाई पर रोक लगा दी गई है। खासकर वे सेंटर जो पीने योग्य पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें बंद किया जा रहा है। प्रशासन ने इस फैसले के जरिए जल संरक्षण की दिशा में सख्ती दिखाई है, लेकिन दूसरी ओर इस कार्रवाई से सैकड़ों कार वॉश संचालकों में आक्रोश भी देखा जा रहा है।
निगम के आठ जोनों में फैले करीब 250 कार वॉश सेंटरों को नोटिस जारी किए गए हैं, जिनमें से 100 से अधिक सर्विसिंग सेंटर अब तक बंद हो चुके हैं। सबसे ज्यादा कार्रवाई जोन-2 तिफरा क्षेत्र में हुई, जहां 42 सेंटरों को नोटिस थमाया गया। निगम अधिकारियों का कहना है कि कंप्रेशर मशीनों से प्रतिदिन लाखों लीटर पीने का पानी बर्बाद होता है, जिससे जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
हालांकि, कार वॉश संचालकों ने इस निर्णय को एकतरफा और असंवेदनशील बताया है। तिफरा निवासी कार वॉश संचालक राजीव नवरंग ने कहा कि कंप्रेशर से कार धोने में अधिकतम दो बाल्टी पानी खर्च होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन छोटे कारोबारियों को निशाना बना रहा है, जबकि बड़े उद्योगों में हो रही पानी की बर्बादी पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।
संचालकों का यह भी कहना है कि वे कर्ज लेकर दुकानें चला रहे हैं और उनके यहां काम करने वाले मजदूरों की रोजी-रोटी भी इन्हीं सेंटरों पर निर्भर है। दुकान बंद होने से उनके परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने निगम की कार्रवाई को अनुचित बताते हुए विरोध दर्ज कराया है।
गौरतलब है कि नगर निगम क्षेत्र के 68 वार्डों में 52 पानी टंकियों और 982 पावर पंपों के माध्यम से प्रतिदिन लगभग 7 करोड़ 20 लाख लीटर पानी की आपूर्ति की जाती है, जिसमें से करीब 12 से 15 प्रतिशत पानी बर्बाद हो जाता है। निगम अधिकारियों के अनुसार, इसका 7 से 8 प्रतिशत हिस्सा केवल कंप्रेशर वॉशिंग में खर्च हो रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए नगर निगम ने फिलहाल कंप्रेशर मशीनों के उपयोग पर अस्थायी रोक लगाई है।
यह कदम जहां जल संकट की गंभीरता को दर्शाता है, वहीं इससे प्रभावित कारोबारियों की समस्याओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रशासन और व्यवसायियों के बीच संवाद और संतुलन की आवश्यकता अब और अधिक बढ़ गई है।