डैम निर्माण पर हाईकोर्ट सख्त: पेसा एक्ट और भूमि अधिग्रहण कानून का पालन अनिवार्य, ग्राम सभा की अनुमति के बिना नहीं होगा निर्माण

जबलपुर (शिखर दर्शन) // मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सिंगरौली जिले में प्रस्तावित गोंड वृहद सिंचाई परियोजना के तहत बनने वाले बांध को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया है कि पेसा एक्ट के तहत ग्राम सभा की अनुमति लिए बिना सरकार इस परियोजना को आगे नहीं बढ़ा सकती। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अधिसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून और भूमि अधिग्रहण कानून का पूरी तरह पालन करना अनिवार्य होगा।
1100 करोड़ की लागत से बनना है डैम
सिंगरौली निवासी लोलार सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और गुड्डा सिंह उद्दे ने हाईकोर्ट में पक्ष रखते हुए तर्क दिया कि सरकार ने 1100 करोड़ रुपये की लागत से 34,500 हेक्टेयर क्षेत्र में गोंड वृहद सिंचाई परियोजना के तहत बांध बनाने की प्रशासकीय स्वीकृति दी है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि भूमि अर्जन, पुनर्वास और उचित प्रतिकर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं, जिनमें अधिसूचित आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभा की स्वीकृति अनिवार्य बताई गई है। लेकिन इस मामले में सरकार ने ग्राम सभा की अनुमति नहीं ली, जो पेसा कानून का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने इस मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार बिना पेसा कानून और भूमि अधिग्रहण अधिनियम का पालन किए बांध निर्माण की अधिसूचना जारी नहीं कर सकती। साथ ही, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को यह छूट भी दी कि यदि सरकार इन प्रावधानों के खिलाफ जाकर कोई कार्रवाई करती है, तो वे फिर से न्यायालय का रुख कर सकते हैं।
परियोजना पर मंडराए संशय के बादल
इस फैसले के बाद सिंगरौली में 1100 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस बांध परियोजना पर संशय के बादल छा गए हैं। सरकार को अब या तो ग्राम सभा की अनुमति लेनी होगी या फिर इस परियोजना की दिशा बदलनी पड़ेगी। कोर्ट के इस आदेश को आदिवासी समुदाय और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है।