थाईलैंड में साथ दिखे पीएम और मोहम्मद यूनुस, बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पहली बार आमना-सामना, कल हो सकती है औपचारिक बैठक
बैंकॉक (शिखर दर्शन) // थाईलैंड में BIMSTEC शिखर सम्मेलन से पहले आयोजित आधिकारिक रात्रिभोज में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को एक साथ देखा गया। दोनों नेताओं की यह पहली सार्वजनिक मुलाकात है, जो बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन और शेख हसीना सरकार के बाहर होने के बाद हो रही है। इसके चलते दोनों देशों के बीच संभावित उच्च स्तरीय बातचीत को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को मोहम्मद यूनुस से आधिकारिक मुलाकात कर सकते हैं। अगर यह बैठक होती है, तो यह बांग्लादेश में नई व्यवस्था के बाद भारत की पहली उच्चस्तरीय कूटनीतिक पहल मानी जाएगी। यह मुलाकात BIMSTEC सम्मेलन के दौरान होगी, जो 2018 के बाद इस क्षेत्रीय समूह की पहली प्रत्यक्ष बैठक है।
गुरुवार को थाईलैंड के प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित रात्रिभोज के दौरान मोदी और यूनुस को एक ही मेज पर बैठा देखा गया। यह संकेत देता है कि दोनों देशों के संबंधों में गतिरोध टूट सकता है। विदित हो कि शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव देखा गया था, विशेष रूप से वहां अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों और भारत की पूर्वोत्तर नीति को लेकर बढ़ी चिंताओं के चलते।
सूत्रों का यह भी कहना है कि बांग्लादेश की नई व्यवस्था में यूनुस की भूमिका को लेकर भी भारत में प्रश्न उठाए जा रहे हैं, खासकर हाल ही में उनके चीन दौरे और दिए गए बयानों के बाद, जिन्हें भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के दृष्टिकोण से संवेदनशील माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और म्यांमार के वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलाइंग से भी मुलाकात करेंगे। नेपाल में इन दिनों राजशाही की बहाली की मांग जोर पकड़ रही है, वहीं म्यांमार हाल ही में आए भूकंपों और तख्तापलट के बाद के संकटों से जूझ रहा है। भारत ने म्यांमार को राहत सामग्री और चिकित्सा सहायता भेजकर मानवीय सहयोग बढ़ाया है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 26 मार्च को बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस पर यूनुस को पत्र लिखकर भारत-बांग्लादेश साझेदारी को और सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता जताई थी। उन्होंने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम की विरासत को भी साझा भविष्य का आधार बताया।
ऐसे समय में जब क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग की आवश्यकता पहले से अधिक महसूस की जा रही है, मोदी-यूनुस की संभावित बैठक दक्षिण एशियाई राजनीति में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।