राज्यसभा से भी पारित हुआ वक्फ संशोधन विधेयक, समर्थन में 128 वोट, अब राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद बनेगा कानून

वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर लाए गए वक्फ संशोधन विधेयक को राज्यसभा में भी पारित कर दिया गया है। देर रात 2:32 बजे, 14 घंटे से अधिक की चर्चा के बाद हुए मतदान में 128 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में और 95 ने विरोध में वोट दिया। इससे पहले, यह विधेयक लोकसभा में बुधवार को पारित हो चुका है, जहां 288 सांसदों ने समर्थन किया था और 232 ने विरोध जताया था। अब यह विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद यह कानून का रूप ले लेगा।
विपक्ष ने जताया विरोध, सरकार ने गिनाए फायदे
विधेयक पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि इससे किसी भी मुसलमान का नुकसान नहीं होगा, बल्कि इससे करोड़ों लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा, “वक्फ बोर्ड एक वैधानिक संस्था है, और इसे धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। अगर किसी भूमि को वक्फ घोषित कर दिया गया है तो वह ‘वन्स अ वक्फ, ऑलवेज अ वक्फ’ रहेगा।”
वहीं, विपक्ष ने इस विधेयक को अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध किया। राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, “यह विधेयक अल्पसंख्यकों को तंग करने के उद्देश्य से लाया गया है। इसमें कुछ ऐसे प्रावधान जोड़े गए हैं, जो अनुचित हैं और मूल अधिनियम की भावना के विपरीत हैं।”
सांसदों की तीखी प्रतिक्रियाएं
विधेयक पर बहस के दौरान सदन में संजय राउत ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी और गुस्से में चुटकी बजाते और चीखते नजर आए। उन्होंने बाला साहेब ठाकरे का हवाला देते हुए कड़ी आपत्ति जताई। वहीं, सांसद राधा मोहन दास ने वक्फ बोर्ड की तुलना फिल्मी गुंडों से करते हुए कहा, “जिस जमीन पर वक्फ बोर्ड ने हाथ रख दिया, वह उनकी हो गई।” इस टिप्पणी को लेकर सदन में हंगामा मच गया।
जेपी नड्डा और रिजिजू का पक्ष
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सदन में कहा कि “हमें उम्मीद है कि यह बिल पारित होगा और ‘उम्मीद’ (यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) का उद्देश्य पूरा होगा।”
किरण रिजिजू ने आगे कहा कि “आप चाहते हैं कि वक्फ बोर्ड में केवल मुस्लिम ही हों, लेकिन यदि किसी अन्य धर्म के व्यक्ति से विवाद होता है, तो निष्पक्ष फैसला कैसे होगा? इसलिए वक्फ बोर्ड को धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए।”
अब सबकी नजर राष्ट्रपति की मंजूरी पर है। मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
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