दूध की आपूर्ति पर सवाल: क्या मिल रही शुद्ध मिठाई और डेयरी उत्पाद ?

कोरबा (शिखर दर्शन) // औद्योगिक शहर कोरबा में मिठाई और डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। शहर और उपनगरीय क्षेत्रों में दूध की सीमित उपलब्धता के बावजूद, बड़ी मात्रा में मिठाई, खोवा, पनीर और अन्य दुग्ध उत्पादों की बिक्री हो रही है। ऐसे में यह संदेह गहराता जा रहा है कि आखिर ये उत्पाद कैसे तैयार हो रहे हैं और इनकी शुद्धता कितनी है।
स्थानीय उत्पादन से मिठाई निर्माण संभव नहीं
कोरबा शहर में 50 से अधिक और उपनगरीय इलाकों में लगभग 100 डेयरी उत्पादों की दुकानें हैं। दूध की आपूर्ति मुख्य रूप से स्थानीय खटालों से होती है, जहां भैंसों की संख्या अधिक और गायों की संख्या कम है। जानकारों के अनुसार, इन सभी स्रोतों से कुल दूध उत्पादन 5000 लीटर से अधिक नहीं है, जो केवल चाय और घरेलू जरूरतों के लिए पर्याप्त है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब स्थानीय स्तर पर इतनी सीमित मात्रा में दूध उपलब्ध है, तो बड़ी मात्रा में मिठाई और अन्य उत्पाद कैसे बन रहे हैं?
कोरबा जिला दुग्ध विक्रेता संघ के अध्यक्ष रामनरेश शर्मा का कहना है कि शहर में उपलब्ध दूध से इतनी बड़ी मात्रा में मिठाई और डेयरी उत्पादों का निर्माण संभव नहीं है। इस स्थिति में मिलावटी या बाहरी स्रोतों से आने वाले उत्पादों की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
खाद्य सुरक्षा विभाग की अनदेखी
त्योहारों के मौसम में मिलावटी और नकली डेयरी उत्पादों का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस जांच नहीं की गई है। मिठाई और डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता की जांच न होने से उपभोक्ताओं की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है।
कोरबा में मिलावटी खाद्य पदार्थों को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता के कारण अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। नागरिकों का कहना है कि खाद्य सुरक्षा विभाग को जल्द से जल्द इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए और दूध एवं डेयरी उत्पादों की नियमित जांच सुनिश्चित करनी चाहिए।