मध्यप्रदेश

चार ऐतिहासिक धरोहरें यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में शामिल

भोपाल (शिखर दर्शन) // मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक विरासत को वैश्विक पहचान मिल रही है। यूनेस्को ने प्रदेश की चार ऐतिहासिक धरोहरों को अपनी टेंटेटिव सूची (अस्थायी सूची) में शामिल किया है। इसके साथ ही अब प्रदेश की कुल 18 धरोहरें यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में स्थान पा चुकी हैं, जिनमें 15 टेंटेटिव और 3 स्थायी रूप से शामिल हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दी बधाई

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए एमपी टूरिज्म बोर्ड, संस्कृति विभाग, पुरातत्वविदों, इतिहास प्रेमियों और प्रदेशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि मध्यप्रदेश को विश्व पर्यटन मानचित्र पर नई ऊंचाइयां देगी और हमारे गौरवशाली अतीत को नई पहचान दिलाएगी। उन्होंने प्रदेशवासियों से अपनी धरोहरों के संरक्षण के लिए संकल्पबद्ध रहने का आह्वान किया।

मध्यप्रदेश की ये धरोहरें हुईं शामिल

यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में शामिल मध्यप्रदेश की चार ऐतिहासिक धरोहरें इस प्रकार हैं:

  1. मौर्यकालीन अशोक के शिलालेख – ये शिलालेख भारत के प्राचीनतम लिखित अभिलेखों में शामिल हैं, जिनमें सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म और नैतिकता से जुड़े संदेश अंकित हैं। प्रदेश में सांची, जबलपुर (रूपनाथ), दतिया (गुज्जरा) और सीहोर (पानगुरारिया) में स्थित अशोक के शिलालेख इस सूची में शामिल हुए हैं।
  2. चौंसठ योगिनी मंदिर – ये 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच निर्मित तांत्रिक परंपराओं से जुड़े मंदिर हैं, जो गोलाकार संरचना और अद्वितीय शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें खजुराहो, मितावली (मुरैना), जबलपुर, बदोह (जबलपुर), हिंगलाजगढ़ (मंदसौर), शहडोल और नरेसर (मुरैना) के चौसठ योगिनी मंदिर शामिल हैं।
  3. गुप्तकालीन मंदिर – ये मंदिर भारतीय स्थापत्य कला की उत्कृष्ट कृतियां हैं। यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में सांची, उदयगिरि (विदिशा), नचना (पन्ना), तिगवा (कटनी), भूमरा (सतना), सकोर (दमोह), देवरी (सागर) और पवाया (ग्वालियर) के गुप्तकालीन मंदिर शामिल किए गए हैं।
  4. बुंदेला काल के किले और महल – बुंदेला राजाओं द्वारा निर्मित ये किले और महल राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का बेहतरीन उदाहरण हैं। गढ़कुंडार किला, राजा महल, जहांगीर महल, दतिया महल और धुबेला महल इस सूची में शामिल किए गए हैं।

बीते वर्ष छह धरोहरें हुई थीं शामिल

गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी यूनेस्को ने मध्यप्रदेश की छह धरोहरों को टेंटेटिव सूची में शामिल किया था। इनमें ग्वालियर किला, बुरहानपुर का खुनी भंडारा, चंबल घाटी के शैल कला स्थल, भोजेश्वर महादेव मंदिर (भोजपुर), रामनगर के गोंड स्मारक (मंडला) और धमनार का ऐतिहासिक समूह शामिल थे।

तीन धरोहरें स्थायी सूची में

मध्यप्रदेश की तीन धरोहरें पहले से ही यूनेस्को की स्थायी विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं:

  1. खजुराहो मंदिर समूह
  2. भीमबेटका की गुफाएं
  3. सांची स्तूप

इसके अलावा, मांडू के स्मारक, ओरछा का ऐतिहासिक समूह, नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और चंदेरी पहले से ही यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में शामिल हैं।

मध्यप्रदेश के लिए गर्व का विषय

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिल रही है। प्रदेश की चार और धरोहरों का यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में शामिल होना यह प्रमाणित करता है कि मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का महत्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्वीकार किया जा रहा है।

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