अन्तर्राष्ट्रीय

नेपाल में योगी आदित्यनाथ के पोस्टर पर विवाद: राजशाही समर्थकों की रैली में लहराए जाने से मचा हंगामा

नेपाल में राजशाही की बहाली को लेकर प्रदर्शन, पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की रैली में लहराए गए सीएम योगी के पोस्टर

काठमांडू (शिखर दर्शन) // नेपाल में राजशाही की बहाली को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। रविवार को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह जब काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे, तो हजारों समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया। इस दौरान उनके समर्थन में रैली भी निकाली गई, लेकिन एक घटना ने नेपाल से लेकर भारत तक विवाद खड़ा कर दिया। रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर लहराए गए, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया।

योगी आदित्यनाथ के पोस्टर लहराने पर विवाद

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। समर्थकों ने राष्ट्रीय झंडे और ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें लेकर बाइक रैली भी निकाली। लेकिन जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें लहराईं, तो इस पर नेपाल के विभिन्न राजनीतिक दलों और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।

आरपीपी के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र शाही ने आरोप लगाया कि योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों का प्रदर्शन एक साजिश है, जिसे प्रधानमंत्री केपी ओली की सरकार ने जानबूझकर रचा है। उन्होंने कहा कि इस कदम के पीछे ओली के मुख्य सलाहकार विष्णु रिमाल का हाथ हो सकता है, ताकि राजशाही समर्थक आंदोलन को बदनाम किया जा सके।

नेपाल सरकार की प्रतिक्रिया

विवाद बढ़ने के बाद प्रधानमंत्री केपी ओली ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने काठमांडू में एक कार्यक्रम के दौरान बिना किसी का नाम लिए कहा कि नेपाल की रैलियों में विदेशी नेताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस बीच, चर्चा यह भी है कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने जनवरी में उत्तर प्रदेश का दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने कथित रूप से सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी।

नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग तेज

नेपाल के विभिन्न हिस्सों, खासकर काठमांडू और पोखरा में राजशाही समर्थकों द्वारा रैलियां आयोजित की जा रही हैं। वे 2008 में समाप्त किए गए राजतंत्र की बहाली की मांग कर रहे हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री केपी ओली ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को चुनाव लड़ने की चुनौती भी दी थी।

नेपाल में बढ़ती राजनीतिक हलचल ने एक बार फिर यह संकेत दिया है कि देश में राजशाही के समर्थन में एक बड़ा वर्ग सक्रिय हो रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर नेपाल की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है।

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