रंगभरी एकादशी पर गुलाल से सराबोर हुआ माहौल, हजारों श्रद्धालुओं ने लिया उत्सव का आनंद

मथुरा (शिखर दर्शन) // ब्रज मंडल में 10 मार्च 2025 को होली का उत्सव श्रद्धा, उमंग और भक्तिभाव के साथ मनाया गया। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मभूमि, मथुरा में रंगभरी एकादशी के अवसर पर भव्य रंगोत्सव आयोजित किया गया, जिसमें देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालुओं ने रंगों और गुलाल की बौछार के बीच होली का आनंद लिया।
ब्रज की होली का यह अद्भुत नजारा भक्तों के लिए अलौकिक अनुभव लेकर आया। मंदिरों में गूंजते “राधे-राधे” और “श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी” के जयकारों के बीच श्रद्धालुओं ने पूरे भक्तिभाव से इस पावन पर्व को मनाया।
ब्रज की गलियां रंगों और प्रेम से हुईं सराबोर
ब्रज की होली केवल रंगों का नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और सांस्कृतिक परंपराओं का संगम भी है। यहां की गलियां और चौक रंगों से सराबोर हो गईं, जहां स्थानीय लोगों के साथ-साथ हजारों श्रद्धालु भी कृष्णमय माहौल में डूब गए।
फूलों की होली ने मोहा मन

वृंदावन के प्रेम मंदिर में 10 मार्च को विशेष फूलों की होली का आयोजन किया गया, जिसमें गुलाल की जगह भगवान श्रीकृष्ण को रंग-बिरंगे फूलों की पंखुड़ियों से अर्पित किया गया। इस अनूठी परंपरा में श्रद्धालुओं ने भक्ति और श्रद्धा के साथ भाग लिया और भक्तिरस में सराबोर हो गए।
बरसाना से नंदगांव तक अनूठी होली परंपराएं
ब्रज में होली के उत्सव की शुरुआत 7 मार्च को बरसाना की प्रसिद्ध लड्डू मार होली से हुई, जिसमें श्रद्धालुओं ने आनंदपूर्वक हिस्सा लिया। इसके बाद 8 मार्च को लठमार होली का आयोजन हुआ, जहां राधारानी की नगरी में गोपियों ने प्रेम के प्रतीक स्वरूप लाठियों से ग्वालों को परंपरागत रूप से रासलीला का अनुभव कराया।
9 मार्च को नंदगांव में भी लठमार होली का आयोजन हुआ, जहां श्रद्धालुओं ने भगवान कृष्ण और राधा की प्रेममयी लीलाओं का दर्शन किया।
ब्रज की होली: आस्था, आनंद और रंगों का अद्भुत संगम
ब्रज की होली केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण की लीलाओं का जीवंत मंचन है, जो श्रद्धालुओं को भक्तिरस में डुबो देता है। रंगभरी एकादशी से होलिका दहन और धुलेंडी तक चलने वाले इस उत्सव में हर दिन एक नई परंपरा और उत्साह देखने को मिलता है। इस वर्ष भी यह उत्सव ऐतिहासिक रहा, जिसमें श्रद्धालुओं ने भक्ति और उल्लास के साथ रंगों के इस महापर्व का आनंद उठाया।