महिला समूहों की पहल, हर्बल रंग और गुलाल से सजेगी होली, त्वचा की चमक बनी रहेगी

महिलाएं हर्बल गुलाल और प्राकृतिक रंग तैयार करने के लिए पलाश, गुलाब, गेंदा, चुकंदर, गाजर, नीम, अमरूद के पत्ते और पालक जैसी प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग कर रही हैं। गुलाल का आधार मैदा, चावल का आटा और अरारोट पाउडर से तैयार किया जा रहा है, जबकि इसकी खुशबू बढ़ाने के लिए चंदन पाउडर और इत्र मिलाया जा रहा है, जिससे ये रंग और भी आकर्षक व सुगंधित बन रहे हैं।

कोरबा (शिखर दर्शन) // छत्तीसगढ़ के कोरबा में होली का उल्लास चरम पर है। बाजारों में रंग-बिरंगी पिचकारियां और गुलाल की दुकानों की रौनक बढ़ गई है। हर कोई रंगों में सराबोर होने के लिए उत्साहित है, लेकिन पारंपरिक रंगों में मौजूद रासायनिक तत्वों से होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर चिंता भी बनी हुई है। ऐसे में कोरबा की महिला सहायता समूहों ने एक अनोखी पहल की है, जिससे लोग बिना किसी डर के सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके से होली मना सकें।
महिला समूहों ने तैयार किए हर्बल रंग और गुलाल
कोरबा की महिला सहायता समूह घरेलू और प्राकृतिक चीजों का उपयोग कर हर्बल रंग और गुलाल तैयार कर रही हैं। इन रंगों को बनाने में पलाश के फूल, गुलाब, गेंदा, चुकंदर, गाजर, नीम, अमरूद के पत्ते और पालक जैसी सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है। गुलाल का आधार मैदा, चावल का आटा और अरारोट पाउडर से तैयार किया गया है, जिससे यह त्वचा के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। इसके अलावा, इन रंगों को और भी सुगंधित और आकर्षक बनाने के लिए चंदन पाउडर और इत्र का प्रयोग किया जा रहा है।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता और स्वास्थ्य की सुरक्षा
महिला समूहों का उद्देश्य सिर्फ हर्बल रंग तैयार करना ही नहीं, बल्कि लोगों को स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूक करना भी है। रासायनिक रंगों के कारण त्वचा में एलर्जी, खुजली और जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जबकि हर्बल रंग पूरी तरह सुरक्षित होते हैं और त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। इस पहल से न केवल लोगों को स्वास्थ्यवर्धक होली मनाने का मौका मिलेगा, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगा।
महिलाओं को मिला स्वरोजगार, बाजार में उपलब्ध हैं हर्बल रंग
यह पहल महिला उद्यमिता को भी सशक्त बना रही है। स्थानीय महिला सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए हर्बल रंग अब बाजार में उपलब्ध हैं, जिससे लोगों को सुरक्षित रंगों का विकल्प मिल रहा है और महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी मिल रहा है।

इस होली, रासायनिक रंगों को अलविदा कहें और कोरबा की महिला समूहों द्वारा तैयार किए गए हर्बल रंगों से प्राकृतिक और सुरक्षित होली मनाएं!