उत्तरप्रदेश

महाकुंभ माघ पूर्णिमा अमृत स्नान: यह सिर्फ भीड़ नहीं, बल्कि ‘शाश्वत सनातन’ की भव्य झलक है – तस्वीरें देखकर महसूस करें महाकुंभ का दिव्य अनुभव

महाकुंभ माघ पूर्णिमा अमृत स्नान: संगम तट पर आस्था का महासागर, पुष्पवर्षा से गूंज उठा सनातन का दिव्य संगम

प्रयागराज (शिखर दर्शन) // सनातन संस्कृति की शाश्वत परंपराओं का महापर्व महाकुंभ अपने पूर्ण वैभव के साथ प्रवाहित हो रहा है। माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर अमृत स्नान के लिए देश-विदेश के कोने-कोने से श्रद्धालु संगम तट पर उमड़ पड़े हैं। त्रिवेणी के पवित्र जल में सदियों की आस्था, संत परंपरा और सनातनी ऊर्जा सजीव हो उठी है। धर्म, अध्यात्म और सनातन संस्कृति का अद्भुत संगम आज प्रयागराज में अपने दिव्य स्वरूप में प्रकट हो रहा है।

48 करोड़ भक्तों ने लिया आस्था का अमृत स्नान

प्रभात काल से ही गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम में श्रद्धालुओं की टोलियां पुण्य की डुबकी लगा रही हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक 48 करोड़ से अधिक श्रद्धालु इस महापर्व में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। अकेले माघ पूर्णिमा के दिन दोपहर तक 1.83 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम स्नान कर स्वयं को पुण्य और मोक्ष की ओर अग्रसर किया। स्नान का यह पवित्र क्रम अनवरत जारी है, और इस आध्यात्मिक महासंगम में जनसागर उमड़ता ही जा रहा है।

महाकुंभ में पुष्पवर्षा से भक्तों में उमंग

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार, महाकुंभ नगर में श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई। जब भक्तगण पवित्र त्रिवेणी में स्नान कर रहे थे, तब आकाश से हो रही पुष्पवर्षा ने इस महोत्सव को दिव्यता की पराकाष्ठा पर पहुंचा दिया। गंगा तट पर स्थित संत-महात्माओं, अखाड़ों के नागा संन्यासियों एवं कल्पवासियों ने इस अलौकिक दृश्य को सनातन परंपरा का अनुपम प्रसाद बताया। पुष्पों की वर्षा से वातावरण भक्तिमय हो उठा, और पूरे क्षेत्र में हर-हर गंगे, जय गंगा मैया के जयघोष गूंजने लगे।

सनातनी आस्था का अद्वितीय समागम

महाकुंभ केवल एक मेला नहीं, बल्कि सनातन धर्म की जीवंत परंपरा का साक्षात्कार है। यह वही पुण्यकाल है, जब स्वर्ग के देवता भी मानव रूप में पृथ्वी पर आकर पुण्यस्नान के लिए लालायित रहते हैं। संत-महात्माओं के अनुसार, माघ पूर्णिमा का यह स्नान समस्त पापों का क्षय करने वाला एवं मोक्षदायी माना गया है। गंगा की गोद में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठते हैं, मानो स्वयं दिव्यता से आलोकित हो गए हों।

संत समाज का दिव्य प्रवचन और भजन संध्या

महाकुंभ में आध्यात्मिक उन्नयन के लिए वेदांत, गीता, रामायण और उपनिषदों पर आधारित प्रवचनों की श्रृंखला जारी है। संत समाज द्वारा सनातनी परंपराओं और भक्ति मार्ग का महत्त्व बताया जा रहा है। भजन संध्याओं में संतों और भक्तों के स्वर गूंज रहे हैं, जिससे समूचा महाकुंभ नगर आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत हो उठा है।

महाकुंभ: सनातन का अनंत प्रवाह

महाकुंभ केवल आस्था का संगम नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की अक्षुण्णता का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें हमारी सनातन परंपराओं की स्मृति कराता है, जो युगों-युगों से मानवता को धर्म, अध्यात्म और ज्ञान का प्रकाश देती आ रही हैं। प्रयागराज में बह रही गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी के जलधाराओं की तरह, सनातन धर्म की यह दिव्य धारा अनंतकाल तक प्रवाहित होती रहेगी

धर्म, भक्ति और दिव्यता के इस महासंगम में, महाकुंभ का पुण्यकाल अपना चरमोत्कर्ष पर है। श्रद्धालुओं की आस्था, संतों की साधना और संगम की लहरों में प्रवाहित सनातनी ऊर्जा इस पर्व को दिव्यता की पराकाष्ठा पर ले जा रही है।

देखिए मनमोहक तस्वीरें :

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