बिलासपुर संभाग

बिलासपुर मेयर चुनाव: भाजपा ने पूजा विधानी, कांग्रेस ने प्रमोद नायक को उतारा, अंतिम दिन बढ़ी हलचल

पूजा और प्रमोद के बीच कड़ा मुकाबला, कौन बनेगा अगला महापौर?

बिलासपुर (शिखर दर्शन) // बिलासपुर नगर निगम चुनाव में महापौर पद के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अंतिम समय पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। भाजपा ने प्रदेश महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष पूजा विधानी (Pooja Vidhani) को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने सहकारी बैंक के माध्यम से अपनी पहचान बनाने वाले प्रमोद नायक (Pramod Naik) को उम्मीदवार बनाया है। दोनों दलों ने कई दावेदारों के बीच इन्हीं नामों पर भरोसा जताया है।

राजनीतिक समीकरण और सफर:
भाजपा की प्रत्याशी पूजा विधानी नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष अशोक विधानी की पत्नी हैं। वे पिछले दो दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं और 1998 में पहली बार पार्षद बनी थीं। इसके बाद वे दो बार महिला मोर्चा की अध्यक्ष और प्रदेश महामंत्री का पद संभाल चुकी हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद नायक छत्तीसगढ़ कुर्मी चेतना मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं और कांग्रेस के कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने एमकॉम की पढ़ाई की है और उनकी स्वच्छ छवि को उनकी ताकत माना जा रहा है।

नामांकन के आंकड़े:
महापौर पद के लिए कुल 10 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र लिया है, जिनमें 4 महिलाएं और 6 पुरुष शामिल हैं। कांग्रेस से प्रमोद नायक, भाजपा से पूजा विधानी, शिवसेना से रेवती यादव, और निर्दलीय राजकुमार निषाद व रमा नाविक मुख्य दावेदार हैं।

पार्षद चुनाव में भी जबरदस्त उत्साह:
नगर निगम के पार्षद पद के लिए अब तक 288 उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं, जिनमें 107 महिलाएं और 181 पुरुष शामिल हैं। सोमवार को 100 से ज्यादा प्रत्याशियों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल किए।

चुनाव कार्यक्रम:
नगर निगम चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 28 जनवरी है। इसके बाद मतदान 11 फरवरी को होगा।

राजनीतिक संघर्ष का मोर्चा:
भाजपा और कांग्रेस के बीच मेयर पद को लेकर सीधा मुकाबला है। पूजा विधानी महतारी वंदन योजना और विकास के वादों के साथ चुनाव मैदान में हैं, जबकि प्रमोद नायक अपनी स्वच्छ छवि और अनुभव के बलबूते ‘नायक’ बनने की कोशिश करेंगे। वहीं, टिकट से वंचित दावेदार और उनके समर्थकों ने पार्टी संगठनों के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है।

बिलासपुर में महापौर चुनाव का यह मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है, जहां राजनीति और अनुभव दोनों दांव पर हैं।

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