Halal Certificate: आटा, बेसन, सीमेंट और छड़ को भी मिला हलाल प्रमाणन, सुप्रीम कोर्ट में नई बहस
नई दिल्ली (शिखर दर्शन) // सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हलाल प्रमाणन को लेकर दिलचस्प बहस सुनने को मिली, जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीमेंट और छड़ जैसे गैर-मांस उत्पादों के हलाल प्रमाणन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “हलाल प्रमाणित उत्पादों के लिए अधिक खर्च क्यों करना चाहिए जिनका इससे कोई लेना-देना नहीं है?”
यह टिप्पणी उस समय की गई जब शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणित खाद्य उत्पादों के भंडारण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। तुषार मेहता ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के सामने कहा, “जहां तक हलाल मांस का सवाल है, किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकती, लेकिन क्या आप जान सकते हैं कि सीमेंट और छड़ जैसे उत्पादों को भी हलाल प्रमाणित किया जा रहा है?”
उन्होंने उदाहरण दिया कि बेसन और आटा भी हलाल प्रमाणित हो रहे हैं, जो स्वाभाविक रूप से सवाल खड़ा करता है। “बेसन हलाल या गैर-हलाल कैसे हो सकता है?” मेहता ने पूछा। उन्होंने कहा कि इस प्रमाणन प्रक्रिया से जुड़ी कुल राशि लाखों करोड़ हो सकती है।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने हालांकि यह तर्क दिया कि यह एक स्वैच्छिक मामला है, और कोई दबाव नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्रीय नीति जीवनशैली से संबंधित है, जिसमें हलाल प्रमाणन का कोई बुरा असर नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई जारी है और याचिकाकर्ताओं को चार सप्ताह का समय दिया गया है। शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 24 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में तय की है।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि यह मुद्दा पूरी तरह से राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है, और उत्तर प्रदेश सरकार ने 18 नवंबर, 2023 को जो अधिसूचना जारी की थी, वह राज्य के खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन के अधीन है।
अदालत ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है और याचिकाकर्ताओं को अपना जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।