प्यार और विश्वास की जीत: आत्मसमर्पित नक्सलियों ने रचाई शादी, मुख्यमंत्री साय ने दिया आशीर्वाद
आत्मसमर्पित नक्सलियों ने गृहस्थ जीवन की ओर बढ़ाया कदम, मुख्यमंत्री साय ने नवविवाहितों को दिया आशीर्वाद
रायपुर (शिखर दर्शन) // छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में कभी हिंसा और डर का पर्याय रहे इलाकों में अब प्रेम और विश्वास की नई गाथा लिखी जा रही है। माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ने वाले महेश-हेमला और मड़कम-रव्वा ने शनिवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में परिणय सूत्र में बंधकर अपने वैवाहिक जीवन की नई शुरुआत की।
मुख्यमंत्री ने नवदम्पत्तियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए उनके सुखमय जीवन की कामना की। यह घटना सुकमा जिले की बदलती तस्वीर की गवाही देती है, जहां कभी बंदूकें गूंजती थीं, वहां अब शहनाइयां बज रही हैं।
नक्सलियों से नवदम्पति बनने तक का सफर
सुकमा जिले के मिनी स्टेडियम में आयोजित इस समारोह के दौरान मुख्यमंत्री साय ने 206 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की सौगात दी। इस दौरान आत्मसमर्पित नक्सली महेश और हेमला, मड़कम पांडू और रव्वा भीमे ने वैवाहिक जीवन की शुरुआत की।
जिला प्रशासन के मुताबिक, इन चारों ने जून 2024 में नक्सल हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया था। छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति और नियद नेल्ला नार योजना से प्रभावित होकर उन्होंने समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया।
हिंसा छोड़ शांति का रास्ता अपनाने का संदेश
गगनपल्ली गांव के मौसम महेश, डुब्बामरका की हेमला मुन्नी, कन्हाईपाड़ के मड़कम पांडू और सल्लातोंग की रव्वा भीमे ने अपने आत्मसमर्पण के बाद समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का निर्णय लिया। समारोह में नवदम्पत्तियों ने मुख्यमंत्री से आशीर्वाद लेते हुए कहा कि उन्हें हिंसा में शामिल रहने का गहरा अफसोस है।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों ने न केवल उन्हें एक नई दिशा दी, बल्कि रोजगार, मकान और पुनर्वास की सहायता देकर उनके जीवन को सुरक्षित और सम्मानजनक बनाया।
सरकार की नीतियों से प्रेरित हो रहे हैं अन्य नक्सली
महेश और उनके साथियों ने यह भी कहा कि सरकार की पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर कई नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं और मुख्यधारा से जुड़ने का मन बना रहे हैं। यह घटना छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति की सफलता को दर्शाती है।
इस समारोह में उपस्थित हजारों लोगों ने नवदम्पत्तियों को शुभकामनाएं दीं और उनकी नई जिंदगी के लिए आशीर्वाद दिया। यह कहानी प्रेम, विश्वास और सरकार की सहानुभूतिपूर्ण नीतियों की जीत का प्रतीक है।