छत्तीसगढ़ के पावर प्लांटों में नियमों का उल्लंघन: हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, सुधार के लिए सख्त रुख

बिलासपुर (शिखर दर्शन) // छत्तीसगढ़ के पावर प्लांटों में नियमों की अनदेखी और मजदूरों की सुरक्षा के साथ हो रहे खिलवाड़ पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 11 साल बाद भी पावर प्लांटों में कोई सुधार नहीं हुआ है। इस गंभीर मामले पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
हाईकोर्ट के जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पावर प्लांटों की स्थिति पर नाराजगी जताई। अदालत में पेश रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि राज्य के 68 पावर प्लांट फैक्ट्री अधिनियम का उल्लंघन कर रहे हैं। इन प्लांटों के खिलाफ 2024 में ही केस दर्ज किए गए, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी 2014 को सुधार के सख्त आदेश दिए थे।
मजदूरों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर सवाल
हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नर प्रतीक शर्मा और अदिति सिंघवी ने अपनी रिपोर्ट में पावर प्लांटों के मजदूरों के स्वास्थ्य से जुड़े कई गंभीर मुद्दे उजागर किए। मजदूरों की स्वास्थ्य जांच प्राइवेट डायग्नोसिस सेंटर में कराई गई, जिनकी रिपोर्ट पर सवाल खड़े हुए। कोर्ट ने इस पर भी सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है?”
सरकारी पक्ष की अनुपस्थिति पर नाराजगी
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत की अनुपस्थिति पर भी नाराजगी जताई। अदालत ने सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए सोमवार तक का समय दिया है। वहीं, अगली सुनवाई 13 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है।
अपर महाधिवक्ता ने पिछली सुनवाई में दी थी जानकारी
पिछली सुनवाई में अपर महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने बताया था कि हाईकोर्ट के 15 अक्टूबर 2024 के आदेश के अनुपालन में निरीक्षण किया गया है और रिपोर्ट प्राप्त हुई है। हालांकि, कोर्ट ने बिजली संयंत्रों में पाई गई खामियों को लेकर दर्ज किए गए मामलों पर नाराजगी जताई और कहा कि इतने लंबे समय तक आदेशों की अनदेखी करना मजदूरों की सुरक्षा के साथ अन्याय है।
न्यायालय का रुख सख्त
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि मजदूरों की सुरक्षा और नियमों के अनुपालन में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस मामले में सुधार के लिए शासन पर सख्त दबाव डाला गया है। अब सभी की नजरें 13 जनवरी 2025 को होने वाली अगली सुनवाई पर हैं।