1975 में नागपुर में हुआ था पहला सम्मेलन, जानिए कब से शुरू हुआ था विश्व हिंदी दिवस मनाने का आयोजन

नई दिल्ली (शिखर दर्शन) //
हर साल 10 जनवरी को मनाया जाने वाला विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day) हिंदी भाषा की वैश्विक अहमियत और उसके प्रसार को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा पहली बार विश्व हिंदी दिवस के रूप में घोषित किया गया था, और यह विशेष रूप से 1975 में भारत के नागपुर में आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है।
कब और क्यों हुई थी शुरुआत?
भारत सरकार ने 10 जनवरी 2006 को विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना और उसे एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करना था। हिंदी, जो दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है, का सम्मान बढ़ाने के लिए यह दिन विशेष रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर भारत की संस्कृति और भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिश की जाती है।

विश्व हिंदी दिवस का महत्व
विश्व हिंदी दिवस केवल हिंदी भाषा के सम्मान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिन एक व्यापक उद्देश्य की ओर इशारा करता है—हिंदी की निरंतर प्रासंगिकता और विकास। बहुभाषी और डिजिटल युग में हिंदी को जीवन्त रखने के प्रयासों को इस दिन के माध्यम से मजबूत किया जाता है। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, मोबाइल एप्लिकेशन और अनुवाद उपकरणों के माध्यम से हिंदी की पहुंच लगातार बढ़ रही है, जिससे यह भाषा दुनियाभर में प्रभावी बन रही है।
हिंदी के प्रचार से भारत और दुनिया भर के देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूती मिलती है। विश्व हिंदी दिवस भाषा के प्रसार के साथ-साथ, विविध संस्कृतियों के बीच आपसी सम्मान और समझ को बढ़ावा देने का काम भी करता है। यह दिन नीति निर्माताओं, शिक्षकों और भाषा प्रेमियों से अपील करता है कि वे हिंदी के संरक्षण और विस्तार में योगदान दें।
निष्कर्ष
विश्व हिंदी दिवस का महत्व केवल भाषाई प्रशंसा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की विश्वभर में पहचान बनाने के प्रयासों को भी रेखांकित करता है। यह दिन हिंदी की सार्वभौमिकता और भारतीय विरासत को दुनिया के सामने लाने का एक महत्वपूर्ण मंच है, जो हमारे साझा इतिहास और सांस्कृतिक कूटनीति को प्रगति की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाता है।
इस दिन को मनाकर हम न केवल अपनी भाषा का सम्मान बढ़ाते हैं, बल्कि दुनिया भर में हिंदी को एक भाषा के रूप में पहचान दिलाने का भी एक मजबूत कदम उठाते हैं।