Journalist Mukesh Chandrakar Murder Case: दिल्ली से मुख्य आरोपी रितेश चंद्राकर गिरफ्तार, छत्तीसगढ़ पुलिस ने चार आरोपियों को हिरासत में लिया

रायपुर (शिखर दर्शन) // पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड में छत्तीसगढ़ पुलिस ने बड़ी सफलता प्राप्त की है। पुलिस ने मुख्य आरोपी रितेश चंद्राकर को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। इसके अलावा, ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के भाई समेत चार आरोपियों को छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस सभी आरोपियों से पूछताछ कर रही है।
घटनाक्रम की जानकारी
मुकेश चंद्राकर, जो 1 जनवरी 2025 से लापता थे, उनकी लाश 3 जनवरी को बीजापुर के एक सेप्टिक टैंक से बरामद की गई। पुलिस ने मुकेश के मोबाइल की आखिरी लोकेशन के पास एक बाड़े में बने सेप्टिक टैंक को तोड़वाया, जिसमें उनकी लाश पाई गई। हत्या के बाद मुकेश की लाश को सेप्टिक टैंक में डालकर ढक दिया गया था, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई।
शव पर मिले गंभीर चोट के निशान
पुलिस द्वारा किए गए पंचनामे में मुकेश चंद्राकर के शव पर गंभीर चोट के निशान मिले हैं। उनके सिर पर सात जगह नुकीले हथियार से वार के निशान और माथे पर कुल्हाड़ी से वार के निशान पाए गए। जांच में यह भी सामने आया कि उनकी हत्या गला घोंटकर की गई थी। पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है, और इस संबंध में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के भाई को गिरफ्तार किया है, जबकि अन्य आरोपी फरार बताए जा रहे हैं।
कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप
मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद, राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने पत्रकार की हत्या पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, “भाजपा राज में पत्रकारों को पत्रकारिता करने की कीमत अपनी जान से चुकानी पड़ रही है।”
वहीं, भाजपा ने कांग्रेस नेता दीपक बैज पर हमला करते हुए दावा किया कि मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर का गहरा संबंध बैज से है। भाजपा ने आरोप लगाया कि बैज ने सुरेश चंद्राकर को एससी मोर्चा के प्रदेश सचिव के रूप में नियुक्त किया था। भाजपा ने सोशल मीडिया पर आरोपी की तस्वीरें भी साझा की और सवाल उठाया, “क्या यह कांग्रेस का ‘कॉन्क्रैक्ट किलर’ है?”
पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल
इस मामले ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेशभर के पत्रकारों में आक्रोश है, और वे इस घटना के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। यह मामला न केवल पत्रकारों की सुरक्षा की गंभीर स्थिति को उजागर करता है, बल्कि राज्य में पत्रकारिता की स्वतंत्रता को लेकर भी गंभीर चिंता उत्पन्न करता है।
फिलहाल, पुलिस इस मामले में सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है और मामले की जांच जारी है।