मनमोहन सिंह के पांच ऐतिहासिक फैसले, जिन्होंने देश और जनता की तकदीर बदल दी, हमेशा रहेगा देश उनका ऋणी

मनमोहन सिंह के पांच ऐतिहासिक फैसले, जिसने बदल दी देश और लोगों की किस्मत
( शिखर दर्शन )
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, जिनके आर्थिक सुधारों ने भारत को विकास के नए रास्ते पर अग्रसर किया, अब हमारे बीच नहीं रहे। 26 सितंबर को 92 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। बतौर वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह ने कई बड़े और साहसिक फैसले लिए थे, जिनका प्रभाव आज भी देश में महसूस किया जाता है। आइए, जानते हैं उन पांच बड़े फैसलों के बारे में, जिन्होंने न केवल देश की किस्मत बदल दी, बल्कि लाखों लोगों के जीवन को भी एक नई दिशा दी।
1. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NAREGA)
2005 में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लागू किया गया राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NAREGA), जिसे बाद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम दिया गया, ग्रामीण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण योजना साबित हुई। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करना था, जिससे गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सुधार संभव हो सके। इस योजना ने ग्रामीण इलाकों में पलायन को कम किया और रोजगार के 100 दिन की गारंटी दी, जिससे लाखों परिवारों को राहत मिली।

2. भारत-अमेरिका परमाणु सौदा
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता डॉ. मनमोहन सिंह की सबसे बड़ी कूटनीतिक उपलब्धियों में से एक था। इस समझौते ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) से छूट दिलवाई और नागरिक एवं सैन्य परमाणु कार्यक्रमों को अलग करने की अनुमति दी। इसके परिणामस्वरूप, भारत को यूरेनियम आयात करने की अनुमति मिली, जिससे ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत हुई।

3. सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI)
2005 में मनमोहन सरकार द्वारा पारित सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) ने भारतीय लोकतंत्र को और मजबूत किया। इस कानून के तहत नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार मिला, जिससे सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हुई। RTI ने भ्रष्टाचार को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

4. प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer)
मनमोहन सिंह ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) प्रणाली की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सरकारी सब्सिडी को सीधे नागरिकों के बैंक खातों में हस्तांतरित करना था। इससे लाभार्थियों तक सरकारी मदद पहुंचने की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी बनी। आज लाखों लोग इस प्रणाली से सीधे लाभान्वित हो रहे हैं, और यह देश के सबसे महत्वपूर्ण कल्याणकारी कार्यक्रमों में से एक बन चुका है।

5. आधार की सुविधा
केंद्र की मोदी सरकार आज, जिस आधार का गुणगान कर रही है, वो भी मनमोहन सिंह के शासनकाल की ही देन है। बतौर PM रहते हुए डॉ. मनमोहन ने आधार की शुरुआत की थी। इसे बनाने के लिए 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) का गठन हुआ था। इसका उद्देश्य भारत के नागरिकों को एक ऐसे पहचान प्रमाण पत्र की सुविधा देना था, जिसे आसानी से हर जगह इस्तेमाल किया जा सके। आधार का शुभारंभ भी डॉ. मनमोहन सिंह के शासनकाल में हुआ था। 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) का गठन किया गया, जिसका उद्देश्य हर भारतीय नागरिक के लिए एक विशिष्ट पहचान प्रमाण पत्र प्रदान करना था। आधार ने डिजिटल इंडिया की नींव रखी और नागरिकों को सरकारी सेवाओं तक पहुंचने में आसानी प्रदान की। आज, आधार हर भारतीय नागरिक की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
डॉ. मनमोहन सिंह के द्वारा लिए गए ये निर्णय न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में मददगार रहे, बल्कि उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के लिए भी बड़े सुधार किए। उनके इन फैसलों ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में
