रक्षा मंत्रालय की जमीन पर अवैध उत्खनन: हाई कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, राज्य और केंद्र सरकार से जवाब तलब

बिलासपुर (शिखर दर्शन) // छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बिलासा देवी केवट एयरपोर्ट से सटी रक्षा मंत्रालय की जमीन पर मुरूम के अवैध उत्खनन मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र अग्रवाल की विशेष बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और रक्षा मंत्रालय से शपथपत्र में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 9 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है।
खबरों पर आधारित संज्ञान
यह जमीन चकरभाठा स्थित रक्षा मंत्रालय की है, जो तेलसरा गांव के अंतर्गत आती है। यहां अवैध मुरूम उत्खनन की खबरें सामने आई थीं। आरोप है कि एक बिल्डर ने मुरूम निकालकर कॉलोनी विकसित करने की योजना बनाई, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये की रॉयल्टी का नुकसान हुआ। कोर्ट ने 13 दिसंबर 2024 को प्रकाशित खबरों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इस पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
अदालत की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता राजकुमार गुप्ता ने गूगल मैप के आधार पर 2012 के नक्शे पेश करते हुए तर्क दिया कि उस जगह पहले से गड्ढा मौजूद था। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि गूगल मैप पर हर समय भरोसा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “सब फेल हो गए हैं! जिम्मेदारों की आंखें बंद रहती हैं। यह केवल गांव वालों का काम नहीं हो सकता, इसमें बड़े लोग शामिल हैं।”
नोटिस में देरी पर नाराजगी
खनिज विभाग ने 25 दिसंबर 2024 को मेमर्स फॉर्चून एलिमेंट के संचालक पवन अग्रवाल को नोटिस जारी किया। हालांकि, कोर्ट ने 13 दिसंबर की खबर पर देर से कार्रवाई को लेकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने पूछा कि आखिर आरोपी बिल्डर को नोटिस जारी करने में इतना समय क्यों लगा।
रक्षा मंत्रालय की अपील
रक्षा मंत्रालय के वकील रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट से अपील की कि जिला प्रशासन और कलेक्टर इस जमीन पर हो रहे अवैध उत्खनन को रोकें। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार और रक्षा मंत्रालय को शपथपत्र में विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया।
यह मामला सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करता है। कोर्ट की सख्ती से उम्मीद है कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी और अवैध उत्खनन पर रोक लगाई जाएगी।