रायपुर संभाग

पटवारियों ने शुरू किया ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार, राजस्व विभाग के कामकाज पर संकट गहराया

रायपुर ( शिखर दर्शन ) // छत्तीसगढ़ में राजस्व विभाग के कामकाज पर संकट गहराने लगा है। राज्य भर के पटवारियों ने लंबे समय से तकनीकी संसाधन उपलब्ध न कराए जाने के विरोध में आज से ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार शुरू कर दिया है। इस फैसले से राजस्व विभाग के कामकाज पर व्यापक असर पड़ने की संभावना है।

छह माह से लंबित मांगें, अल्टीमेटम के बाद कार्रवाई

राजस्व पटवारी संघ ने छह माह पहले राजस्व मंत्री और सचिवालय को संसाधनों की मांग को लेकर अल्टीमेटम सौंपा था। 15 दिसंबर तक समयसीमा निर्धारित की गई थी, लेकिन कोई ठोस कदम न उठाए जाने पर आज से पटवारियों ने कार्यों का बहिष्कार शुरू कर दिया है। इससे प्रदेश में रजिस्ट्री, भुईयां पोर्टल, भूमि सुधार, कृषि संगणना, और फसल कटाई प्रयोग जैसे कार्य ठप हो सकते हैं।

धान खरीदी प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव

राज्य में मौजूदा धान खरीदी सीजन के बीच इस बहिष्कार का सीधा असर किसानों पर भी पड़ेगा। पटवारियों की मदद के बिना किसानों के खातों में त्रुटियों का सुधार असंभव हो जाएगा, जिससे धान खरीदी प्रक्रिया बाधित हो सकती है। किसान अपने खातों के सुधार के लिए पटवारियों पर निर्भर रहते हैं, और तकनीकी संसाधनों के अभाव में यह कार्य रुक जाएगा।

शासकीय वॉट्सएप ग्रुप का भी बायकॉट

पटवारियों ने 9 दिसंबर से काली पट्टी लगाकर चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया था। आज से उन्होंने शासकीय वॉट्सएप ग्रुप्स से भी दूरी बना ली है। संघ का कहना है कि तकनीकी संसाधन उपलब्ध कराने की उनकी मांग लंबे समय से अनदेखी की जा रही है, और अब वे अपने अधिकारों के लिए सख्त कदम उठाने को मजबूर हैं।

कामकाज ठप होने से जनता और प्रशासन परेशान

ऑनलाइन कार्यों के बहिष्कार के चलते प्रदेश भर में भूमि रिकॉर्ड से संबंधित कार्य, रजिस्ट्री, और अन्य राजस्व प्रक्रियाएं ठप हो सकती हैं। इससे आम जनता और किसानों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है।

क्या है मांगें?

पटवारी संघ की मुख्य मांग है कि कार्यालयों में आवश्यक तकनीकी संसाधन जैसे कंप्यूटर, प्रिंटर, इंटरनेट कनेक्शन और सॉफ्टवेयर की सुविधाएं तुरंत मुहैया कराई जाएं। संघ ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक बहिष्कार जारी रहेगा।

प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार

इस बहिष्कार से राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है। अब देखना होगा कि प्रशासन और सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए क्या कदम उठाती हैं।

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