अन्तर्राष्ट्रीय

उस्ताद जाकिर हुसैन: तबले की जादूगरी और संगीत की दुनिया के अद्वितीय सितारे की अनसुनी कहानियां

भारत के सबसे महान तबला वादकों में से एक, उस्ताद जाकिर हुसैन का योगदान शास्त्रीय संगीत में अपार है। उनकी कला और संगीत का जादू न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में फैला हुआ है। आइए जानते हैं उस्ताद जाकिर हुसैन की जीवन की कुछ अनसुनी और दिलचस्प कहानियां:

पंडित रविशंकर ने दिया ‘उस्ताद’ नाम

उस्ताद जाकिर हुसैन को ‘उस्ताद’ नाम देने का श्रेय भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान सितारवादक पंडित रविशंकर को जाता है। पंडित रविशंकर और जाकिर हुसैन की जुगलबंदी की पूरी दुनिया मुरीद थी। जब भी दोनों का संगीत एक साथ बजता था, वहां मौजूद हर शख्स झूम उठता था। पंडित रविशंकर ने तबले पर उनकी अद्वितीय कला को देखते हुए उन्हें ‘उस्ताद’ का उपाधि दी, और तभी से जाकिर हुसैन ‘उस्ताद जाकिर हुसैन’ के नाम से दुनिया भर में पहचाने जाने लगे।

पिता ने सिखाई तबले की जादूगरी

जाकिर हुसैन का जन्म एक संगीतपूर्ण परिवार में हुआ था। उनके पिता, उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी, स्वयं एक महान तबलावादक थे। जब जाकिर हुसैन केवल एक बच्चा थे, उनके पिता ने उन्हें तबले की थाप और बोल सिखाए। उस्ताद अल्लाह रक्खा ने एक बार कहा था, “तबले की तालें ही मेरी आयत हैं,” और इस जादूगरी को अपने बेटे को दिया। जाकिर हुसैन ने भी अपने पिता से न केवल तबले की बारीकियां सीखी, बल्कि उसे अपनी सांसों में समाहित कर लिया और पूरी दुनिया को अपने संगीत से मंत्रमुग्ध कर दिया ।

पहली कमाई में मिले 5 रुपये

जाकिर हुसैन का संगीत में पहला प्रदर्शन 12 साल की उम्र में हुआ था। उस समय उन्हें एक संगीत शो में भाग लेने का मौका मिला, जहां आयोजकों ने उन्हें स्टेज पर बुलाया। इस प्रदर्शन के लिए उन्हें इनाम स्वरूप 5 रुपये मिले। उस समय यह एक बड़ी रकम मानी जाती थी, और जाकिर हुसैन ने इसे अपने जीवन का सबसे कीमती तोहफा बताया। यह उनके लिए संगीत जगत में उनके करियर की शुरुआत की तरह था।

फोटो सुझाव: युवा जाकिर हुसैन की एक तस्वीर, जब वह अपने पहले संगीत शो में प्रदर्शन कर रहे थे

‘उस्ताद’ का निकाह

जाकिर हुसैन ने 1978 में इटैलियन अमेरिकी कथक परफार्मर एंटोनिया मिनेकोला से शादी की। उनकी शादी पारंपरिक भारतीय और पश्चिमी संस्कृतियों के बीच एक खूबसूरत मेल थी। जाकिर हुसैन और एंटोनिया की दो बेटियां हैं, अनीसा और इसाबेला कुरैशी।

तीन ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाले पहले भारतीय

जाकिर हुसैन ने अपने 6 दशकों के संगीत करियर में कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए हैं। 2024 में, वह एकसाथ तीन ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाले पहले भारतीय बने। अब तक, उन्होंने पांच ग्रैमी अवॉर्ड्स सहित कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान हासिल किए हैं।

दो बार पद्म विभूषण से नवाजे गए

भारत सरकार ने उस्ताद जाकिर हुसैन को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया है। उन्हें 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया। इन सम्मानों ने उनकी शास्त्रीय संगीत में महानता को प्रमाणित किया है।

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