रायपुर संभाग

23 साल बाद न्याय मिला, लूटे गए आभूषण परिवार को लौटाए गए, हाईकोर्ट के आदेश पर पुलिस ने की कार्रवाई

गरियाबंद में 23 साल बाद लूटे गए आभूषणों की मालिक को सुपुर्दगी, हाईकोर्ट के आदेश पर देवभोग पुलिस ने किया सौंपा

गरियाबंद ( शिखर दर्शन ) // छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में 2001 में हुए एक बड़े डकैती मामले में 23 साल के लंबे इंतजार के बाद, देवभोग पुलिस ने लूटे गए आभूषणों को उनके असली मालिक, उरमाल निवासी ओमप्रकाश गोयल के परिवार को सौंप दिया। यह सुपुर्दगी उच्च न्यायालय के सख्त निर्देशों के बाद संभव हो पाई है।

देवभोग पुलिस ने परिवार और उनके अधिवक्ता ऋषभ अवस्थी की उपस्थिति में जप्त आभूषणों को खोला, जिसमें 15 किलो चांदी और 700 ग्राम सोने के 35 प्रकार के आभूषण शामिल थे। इस समय इन आभूषणों की कुल कीमत लगभग 20 लाख रुपये थी, जो आज से 23 साल पहले की कीमत के बराबर थी। इस पूरे मिलान की प्रक्रिया में पुलिस को करीब छह घंटे का समय लगा।

यह डकैती वर्ष 2001 में हुई थी और उस समय अविभाजित रायपुर जिले की सबसे बड़ी डकैती मानी जाती थी, जिसे शांतिसीलो गैंग ने अंजाम दिया था। इस मामले में पुलिस ने गैंग के 16 सदस्य गिरफ्तार किए थे, जिनमें गैंग लीडर कैलाश कच्छिम, हरा जानी, मनीराम और श्यामसुंदर जैसे प्रमुख आरोपी शामिल थे। निचली अदालत ने इन सभी आरोपियों को सजा सुनाई थी, लेकिन वे उच्च न्यायालय में अपील करने गए, जिसके कारण आभूषणों की सुपुर्दगी की प्रक्रिया लंबित रही।

देवभोग थाना प्रभारी गौतम गावड़े ने इस पूरे मामले को न्यायालयीन आदेश का पालन बताया और पुष्टि की कि सभी आभूषण दो दिन पहले विधिवत रूप से परिवार को सौंप दिए गए हैं। इस कदम से परिवार को 23 साल बाद न्याय मिला और उनकी खोई हुई संपत्ति वापस लौट आई।

यह घटना एक महत्वपूर्ण कानूनी और सामाजिक मील का पत्थर है, जो लंबित मामलों के समाधान और न्याय की प्रक्रिया के महत्व को उजागर करती है।

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