सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में GRAP-4 पाबंदियां हटाने की दी अनुमति, लेकिन GRAP-2 से नीचे नहीं जाएं प्रतिबंध
नई दिल्ली ( शिखर दर्शन ) // सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के गिरते स्तर को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत लागू GRAP-4 पाबंदियों को हटाने की अनुमति दे दी है। हालांकि, कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को निर्देश दिया है कि पाबंदियों का स्तर फिलहाल GRAP-2 से नीचे न ले जाए। साथ ही, CAQM से कहा गया है कि वह GRAP-2 के साथ GRAP-3 की कुछ पाबंदियों को भी लागू करने पर विचार करे।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह आदेश जारी किया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए स्थाई समाधान जरूरी है और इस दिशा में ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए। आगामी 12 दिसंबर को कोर्ट प्रदूषण की स्थिति की समीक्षा कर आगे के आदेश जारी करेगा।
प्रदूषण स्तर में सुधार, लेकिन पूरी तरह से राहत नहीं
CAQM ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। 18 नवंबर से 4 दिसंबर तक के आंकड़ों के अनुसार, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) केवल अंतिम चार दिनों में 300 से नीचे आया है। कोर्ट ने कहा कि यह सुधार अस्थायी हो सकता है, इसलिए अभी GRAP पाबंदियां पूरी तरह से हटाना उचित नहीं होगा।
GRAP-4 पाबंदियां: निर्माण कार्य और ऑड-ईवन लागू
GRAP-4 लागू होने के दौरान दिल्ली-एनसीआर में सभी निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। निजी स्कूल बंद कर दिए गए थे और निजी वाहनों के लिए ऑड-ईवन योजना लागू की गई थी। साथ ही, गैर-जरूरी ट्रकों के दिल्ली में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई थी।
निर्माण मजदूरों को मुआवजा देने में लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्माण कार्य से प्रभावित मजदूरों को समय पर मुआवजा न देने पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली के मुख्य सचिव को फटकारते हुए निर्देश दिया कि बचे हुए 6,000 मजदूरों को जल्द से जल्द मुआवजा जारी किया जाए, अन्यथा अवमानना की कार्रवाई होगी।
दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि अब तक 90,693 मजदूरों को 2,000 रुपये का मुआवजा दिया गया है। शेष मजदूरों को पुनः सत्यापन के बाद 6,000 रुपये की राशि दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्माण मजदूरों की पहचान और पोर्टल पर उनका पंजीकरण तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार को पोर्टल पर पंजीकृत संख्या को अंतिम मानकर आराम नहीं करना चाहिए, बल्कि वास्तविक संख्या का पता लगाना चाहिए।
कोर्ट का संदेश: स्थाई समाधान की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट ने अंत में कहा कि वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक समाधान के लिए दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के हर स्रोत पर विचार कर ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाएं ताकि हर साल प्रदूषण संकट से जूझना न पड़े।