महिला जज ने बर्खास्तगी के खिलाफ हाईकोर्ट में लड़ा खुद का केस, मिली बड़ी जीत

बिलासपुर ( शिखर दर्शन ) // बर्खास्तगी के 7 साल बाद, बिलासपुर की महिला सिविल जज आकांक्षा भारद्वाज ने हाईकोर्ट में खुद अपना केस लड़ा और बड़ी जीत हासिल की। स्थायी समिति की अनुशंसा पर 2017 में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान महिला जज ने स्वयं अपनी ओर से बहस की, और अंततः हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया।
आकांक्षा भारद्वाज का चयन 2012-13 में सिविल जज के पद पर हुआ था। 12 दिसंबर 2013 को उन्हें दो वर्ष की परिवीक्षा पर नियुक्ति दी गई थी, और उन्होंने 27 दिसंबर 2013 को ज्वाइन किया था। हालांकि, अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें एक सीनियर मजिस्ट्रेट से अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ा। इस बारे में उन्होंने उच्च अधिकारियों से मौखिक और फिर लिखित शिकायत की, लेकिन कमेटी ने इसे निराधार पाया। इसके बावजूद, उनकी बर्खास्तगी की गई, जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
हाईकोर्ट ने महिला जज के पक्ष में निर्णय सुनाया और उन्हें सिविल जज-2 के पद पर बहाल करने का आदेश दिया। इसके बावजूद विधि एवं विधायी विभाग और हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ अपील की थी। अंततः चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने महिला जज के पक्ष में निर्णय लिया, और उन्हें उनकी वरिष्ठता के साथ बहाल किया।
यह फैसला न केवल आकांक्षा भारद्वाज के लिए, बल्कि महिला कर्मचारियों के लिए एक बड़ी जीत है, जिन्होंने कार्यस्थल पर उत्पीड़न और अनुचित व्यवहार का विरोध किया।