महाबोधि महोत्सव का समापन: श्रीलंका के कलाकारों की लोकगीत प्रस्तुति और तपस्वी स्वामी की स्तूप परिक्रमा
महाबोधि महोत्सव का समापन: श्रीलंका के लोकगीतों और नृत्य की प्रस्तुति, तपस्वी स्वामी ने सिर पर अस्थि कलश रखकर की स्तूप परिक्रमा
सांची ( शिखर दर्शन ) // मध्य प्रदेश के सांची में दो दिवसीय महाबोधि महोत्सव के समापन अवसर पर एक भव्य और आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महोत्सव के अंतिम दिन, श्रीलंका से आए कलाकारों ने श्रीलंका के लोकगीतों की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद पंचशील क्लासिकल डांस ग्रुप भोपाल के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, जो महोत्सव की भव्यता को और बढ़ा रहा था।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ ही महाबोधि महोत्सव में एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन भी हुआ। सिर पर अस्थि कलश रखकर शोभायात्रा निकाली गई, जो चैत्यगिरी बिहार मंदिर से प्रारंभ हुई। इस यात्रा में महाबोधि सोसाइटी के तपस्वी स्वामी महाराज ने भगवान बुद्ध के परम शिष्य सारिपुत्र और महामुगलायन का अस्थि कलश अपने सिर पर रखकर मुख्य स्तूप की परिक्रमा की।
महोत्सव में श्रीलंका के लोकगीतों की प्रस्तुति के बाद, ध्वनि ब्रदर्स भोपाल ने नृत्य और गायन की एक विशेष प्रस्तुति दी। इस कार्यक्रम का समापन बुद्ध समूह वंदना से हुआ, जिसे ध्रुपद गायन शैली में सुश्री सुरेखा कामले और उनके साथियों ने प्रस्तुत किया।
महाबोधि महोत्सव के दूसरे दिन केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बौद्ध स्तूप परिसर में स्थित मंदिर में भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के अस्थि अवशेषों का वंदन किया। उन्होंने बौद्ध स्तूपों का भ्रमण भी किया, जो महोत्सव का एक अहम हिस्सा था।
यह महोत्सव सांची की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर को समर्पित था, जिसमें सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यक्रमों ने श्रद्धालुओं को गहरे आंतरिक शांति और सौहार्द का अनुभव कराया।