30 नवंबर महाकाल आरती: राजा रूप में सजे बाबा महाकालेश्वर, ड्रायफ्रूट, फल और मिष्ठान्न का लगाया भोग

छमु गुरु की रीपोर्ट :
उज्जैन ( शिखर दर्शन ) // शनिवार, 30 नवंबर 2024 को महाकालेश्वर मंदिर में मार्गशीर्ष माह, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की गई। भोर में 4 बजे मंदिर के पट खुलने के साथ ही भगवान महाकाल का जल, दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से विधिवत अभिषेक किया गया।
भगवान महाकाल का दिव्य श्रृंगार
भस्म आरती के दौरान भगवान महाकालेश्वर का विशेष श्रृंगार किया गया। उन्हें भांग, चंदन और फूलों की मालाओं से सजाया गया। भगवान ने रजत निर्मित शेषनाग मुकुट, रुद्राक्ष की माला, और सुगंधित पुष्पों से बनी मुण्डमाल धारण की। इसके बाद भगवान को फलों, सूखे मेवों और मिष्ठानों का भोग अर्पित किया गया।
भस्म आरती में उमड़े श्रद्धालु
भस्म आरती के दौरान श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। सैकड़ों भक्तों ने भस्म आरती में भाग लेकर भगवान के दर्शन किए और पुण्य लाभ प्राप्त किया। परंपरा के अनुसार, इस आरती में पुरुषों ने सफेद धोती और महिलाएं साड़ी पहनकर उपस्थित रहीं।
महाकाल लोक की झलक
श्रद्धालु मंदिर परिसर में बने ‘महाकाल लोक’ का भी अवलोकन कर रहे हैं, जो 900 मीटर लंबे भव्य कॉरिडोर में सनातन संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत संगम है। यहां 200 से अधिक मूर्तियां और नाइट गार्डन पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं
मान्यता और महत्व
महाकालेश्वर मंदिर, भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मान्यता है कि यहां शिवलिंग के दर्शन से भक्तों को अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। यह मंदिर 11वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था और वर्तमान स्वरूप मराठा काल में निर्मित हुआ है
श्रद्धालुओं ने नंदी महाराज के कान में अपनी मनोकामनाएं फुसफुसाकर प्रार्थना की और पूरे परिसर में “जय महाकाल” के जयकारे गूंजते रहे।