बिलासपुर संभाग

जैन मुनि पूज्य सागर जी महाराज ने जिला जेल में बंदियों को दिया प्रवचन, कहा- ‘हमारी एक जाति मानव और एक धर्म मानवता’

गौरेला // पेंड्रा // मरवाही ( शिखर दर्शन ) // जैन मुनि पूज्य सागर जी महाराज ने जिला जेल के बंदियों को संबोधित करते हुए एक महत्वपूर्ण उपदेश दिया। उन्होंने कहा, “भारत की मिट्टी में जन्मे सभी लोग भारत की संतान हैं। भारत भूमि सबकी जननी है और एक जननी से जन्म लेने वाले सभी भाई होते हैं। हमारी एक जाति है मानव और हमारा एक धर्म है मानवता।” मुनि श्री ने इस दौरान भारत के विभिन्न संप्रदायों में परस्पर भ्रातृत्व के भाव की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि कुछ और होने से पहले हम सभी भाई हैं।

मुनि श्री ने कैदियों से यह भी कहा कि जेल को कारावास नहीं, बल्कि आश्रम के रूप में देखें और अपने आचरण में सुधार लाएं। उन्होंने आगे कहा कि कई बार संगत, परिस्थितियों और आवेश में आकर अपराध हो जाता है, लेकिन प्रत्येक अपराधी को पश्चाताप होता है। “इस पश्चाताप के बाद व्यक्ति का अपना घर, परिवार, और संपत्ति सब कुछ छूट जाता है, और जेल की दीवारों के भीतर उसका संसार सीमित हो जाता है,” मुनि श्री ने कहा।

मुनि जी ने बताया कि जबकि उन्होंने भी कुछ छोड़ा है, लेकिन उन्होंने यह स्वेच्छा से किया और वीतरागता को आत्मसात किया। “अंतर यह है कि आप दुष्कृत्य करने के बाद छोड़ने पर विवश हुए हैं, जबकि हमने त्याग कर दोषरहित आचरण को अंगीकार किया,” मुनि जी ने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि जेल में मांसाहार, मदिरा पान, और अन्य दुराचरण से बचकर संत जैसा जीवन जीने का अवसर मिलता है। मुनि जी ने बंदियों को यह प्रेरणा दी कि वे इस सुधार को जेल से बाहर भी जारी रखें, ताकि वे अनेक पापों से मुक्त हो सकें।

प्रवचन से प्रभावित होकर बंदियों ने मांसाहार, मदिरा, और धूम्रपान त्यागने का संकल्प लिया और सही मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। मुनि श्री ने उन्हें परस्पर भाई की तरह रहने और जेल प्रशासन तथा अन्य कर्मचारियों के प्रति आदर का भाव रखने की सलाह दी, क्योंकि उनकी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति वही करते हैं।

इस अवसर पर वेदचंद जैन ने मुनि श्री के जीवन को उत्कृष्ट बताया और कहा कि जैन मुनि अपने जीवन को दोषरहित रखते हुए समतापूर्वक साधना करते हैं और स्वकल्याण के साथ जगकल्याण की भावना रखते हैं। उन्होंने कहा कि यह कारागृह और बंदियों के लिए गर्व का पल है कि मुनि श्री और मुनि श्री अतुल सागर जी महाराज ने स्वयं यहां आकर उनका मार्गदर्शन किया।

कारागृह प्रभारी सेवक कुमार ने मुनि श्री और मुनि श्री अतुल सागर जी महाराज के आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इनसे बढ़कर कोई त्यागी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह उनके लिए सौभाग्य की बात है कि ऐसे महान संत बंदियों के कल्याण के लिए यहां पधारे हैं। संदीप सिंघई ने जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और जेल प्रशासन का आभार व्यक्त किया।

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