दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: सरदारों पर चुटकुले पर रोक लगाने की याचिका

नई दिल्ली ( शिखर दर्शन ) // सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सरदारों (सिखों) पर चुटकुले बनाने के मामले पर अहम सुनवाई हुई। वकील हरविंदर चौधरी ने 2015 में इस मुद्दे को लेकर याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि इस तरह के चुटकुले सिखों के सम्मान और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। याचिकाकर्ता ने बताया कि ऐसे चुटकुले सिख पुरुषों और महिलाओं को अपनी वेशभूषा के कारण मजाक का पात्र बना देते हैं, जिससे उनकी भावनाओं को ठेस पहुँचती है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन शामिल थे, ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से सिख संगठनों द्वारा दिए गए सुझावों को संकलित करने का निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद होगी। याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि एक मामले में एक सिख युवक ने इन चुटकुलों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी, जो इस मुद्दे की गंभीरता को और बढ़ा देता है।

वकील हरविंदर चौधरी ने अपनी याचिका में समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा सिखों को लेकर मजाक करने की प्रवृत्ति का उल्लेख किया। उन्होंने स्कूलों में सिख बच्चों को उनके साथियों द्वारा परेशान किए जाने की घटनाओं को भी सामने रखा। इसके अलावा, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी, दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी, मनजीत सिंह जीके और मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी याचिका में शामिल होते हुए इसे समर्थन दिया।

न केवल सिख समुदाय, बल्कि नेपाली और गोरखा समुदायों के लोगों को भी इस तरह के मजाक का सामना करना पड़ता है। नेपाली मूल के दो छात्रों अक्षय प्रधान और माणिक सेठी ने भी याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने नेपाली और गोरखा लोगों को मजाक का पात्र बनाए जाने की समस्या उठाई।

सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में इस मामले पर विचार करते हुए कहा था कि वह इस तरह के चुटकुलों के खिलाफ गाइडलाइंस नहीं बना सकता। हालांकि, कोर्ट ने इंटरनेट पर अवांछित सामग्री की मौजूदगी को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की बात कही थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी वर्ग को उपहास का पात्र न बनाया जाए।

इस मामले पर अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद होगी, और यह देखने की बात होगी कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे को लेकर आगे क्या कदम उठाता है।

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