दुर्ग संभाग

72 वर्षीय कृष्णा बम की अद्वितीय आस्था: बिहार से छत्तीसगढ़ तक शिव भक्त की यात्रा

कवर्धा ( शिखर दर्शन ) // सावन के पवित्र महीने में हर सनातनी के घर और शिवालयों में शिव पूजा की धूम रहती है। इस बीच, शिवभक्तों की आस्था और श्रद्धा की अनोखी कहानियां भी सामने आती हैं। ऐसी ही एक कहानी है बिहार के मुजफ्फरपुर की 72 वर्षीय कृष्णा बम की, जो अपनी अटूट आस्था और दृढ़ संकल्प से सभी को प्रेरित कर रही हैं।

कृष्णा बम, जिनका पिछले वर्ष एक दुर्घटना में पैर टूट गया था, इस साल फिर से बाबा गरीबनाथ को जल चढ़ाने के लिए डाक बम यात्रा पर निकली हैं। पिछले वर्ष वह अपनी चोट के कारण यात्रा नहीं कर सकीं, लेकिन इस साल उन्होंने सावन माह के पांचवें और अंतिम सोमवार को छत्तीसगढ़ के कवर्धा स्थित प्राचीन पंचमुखी बूढ़ा महादेव मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ जलाभिषेक किया।

शनिवार को भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के बाद वह सुल्तानगंज से जल लेकर रवाना हुईं और रविवार को जलबोझी करने के बाद सोमवार को बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पित किया। इसके बाद, छत्तीसगढ़ के मैकल पर्वत के गोद में स्थित ऐतिहासिक बाबा भोरमदेव मंदिर पहुंचकर उन्होंने जलाभिषेक किया।

कृष्णा बम की आस्था को देखकर कवर्धा के स्थानीय लोग भी प्रेरित हुए और शहरवासियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस दौरान लोग उनके साथ सेल्फी लेने के लिए उत्सुक दिखाई दिए।

कृष्णा बम की यह यात्रा न केवल उनकी आस्था का प्रतीक है, बल्कि उनके अदम्य साहस और शक्ति का भी उदाहरण है, जो बताती है कि सच्ची भक्ति और विश्वास के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।

41वीं बार डाक बम यात्रा: 72 वर्षीय कृष्णा बम की अटूट आस्था

72 वर्षीय कृष्णा बम की शिवभक्ति एक प्रेरणादायक मिसाल है। पिछले 40 वर्षों से वह बाबा बैद्यनाथ पर डाक बम के रूप में जल चढ़ा रही हैं, और इस वर्ष उन्होंने अपनी 41वीं यात्रा पूरी कर ली है। कृष्णा बम का कहना है, “घुटना टूटा है, उत्साह नहीं।”

1976 में उन्होंने पहली बार बाबा बैजनाथ पर जल चढ़ाया था, और 1982 से वह हर साल सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर देवघर में बाबा बैद्यनाथ को अर्पित करती आ रही हैं। सावन के हर सोमवार को वह न केवल बाबा बैद्यनाथ बल्कि अन्य ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी करती हैं।

ओंकारेश्वर और महाकाल में भी जलाभिषेक

72 वर्षीय शिवभक्त कृष्णा बम की आस्था और समर्पण अद्वितीय हैं। इस साल अपनी 41वीं डाक बम यात्रा पूरी करते हुए उन्होंने देवघर के बाद ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर मंदिर में भी जलाभिषेक किया। सावन के अंतिम सोमवार को महाकालेश्वर में पूजा-अर्चना के बाद उन्होंने कहा, “मैं कुछ नहीं करती, बस महादेव सब कुछ करवा देते हैं।”

कृष्णा बम का शिवभक्ति सफर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा है। उनके जीवन के सबसे अद्भुत अनुभवों में से एक कैलाश पर्वत और मानसरोवर की यात्रा रही है। साथ ही, 2019 में उन्हें भारत सरकार की अनुमति से पाकिस्तान स्थित कटास राज मंदिर के दर्शन करने का भी अवसर मिला, जो लाहौर से 180 किलोमीटर दूर स्थित है।

उनकी यात्राओं की सूची यहीं खत्म नहीं होती। उन्होंने गंगोत्री से रामेश्वरम तक 4500 किलोमीटर की यात्रा अपने पुत्र मुकेश कुमार के साथ साइकिल से पूरी की, जिसमें तीन महीने तक रोजाना 50 किलोमीटर पैदल चलकर रामेश्वरम में जलाभिषेक किया। हरिद्वार से बाबा बैद्यनाथ तक एक महीने में कांवर यात्रा भी की। इसके अलावा, मुजफ्फरपुर से वैष्णो देवी तक 1900 किलोमीटर की साइकिल यात्रा 15 दिनों में पूरी कर दर्शन किए।

कृष्णा बम की ये यात्रा न सिर्फ उनकी अटूट श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि उनके अदम्य साहस और जीवटता की मिसाल है।

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